दीवानी और फौजदारी मुकदमे किस स्थिति में अपील के रूप में उच्चतम न्यायालय में सुने जा सकते हैं?
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Answer:
दीवानी और फौजदारी मुकदमे इन परिस्थितियों में अपील के रूप में उच्चतम न्यायालय में सुने जा सकते हैं।
दीवानी — पहले भारत के मूल संविधान में यह व्यवस्था थी कि उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में केवल ऐसे ही दीवानी विवादों की अपील की जा सकती थी, जिसमें विवादग्रस्त राशि या संपत्ति का मूल्य 20,000 से अधिक हो। 1973 में हुए 30में संवैधानिक संशोधन द्वारा अनुच्छेद 133 को संशोधित कर उक्त राशि या संपत्ति की सीमा हटा दी गई। अब ये सुनिश्चित कर दिया गया है कि किसी भी राशि के दीवानी विवादों की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
फौजदारी — फौजदारी के क्षेत्र में निम्नलिखित विवादों में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है...
उच्च न्यायालय ने नीचे के न्यायालय के ऐसे किसी निर्णय को रद्द करके अभियुक्त को मृत्युदंड दे दिया हो, जिसमें अभियुक्त को अपराध मुक्त घोषित किया था।
उच्च न्यायालय ने नीचे के न्यायालय के किसी ऐसे निर्णय में अभियुक्त को अपराध मुक्त कर दिया जिसमें अभियुक्त को मृत्युदंड दिया गया था।
उच्च न्यायालय इस बात पर मोहर लगा दे कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने योग्य है।
Explanation:
अगर फ़ौजदारी के मामले में निचली अदालत किसी को फाँसी की सज़ा दे दे, तो उसकी अपील सर्वोच्च या उच्च न्यायालय में की जा सकती है। यदि किसी मुकदमे में उच्च न्यायालय अपील की आज्ञा न दे तब भी सर्वोच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है कि वह उस मुकदमे में की गई अपील 132 2021-22 Page 10 न्यायपालिका 133 को विचार के लिए स्वीकार कर ले।