History, asked by devendrasahariya141, 4 months ago

देवानंद पिए एवं प्रिय 1038 उपाधि अधिकतम द्वारा अपनाई गई थी ​

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Answered by poddarasmita57
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साल 1965 की बात है। मशहूर अभिनेता देव आनंद ‘गाइड’ बना रहे थे। फिल्म के संगीत का जिम्मा एसडी बर्मन पर था। अचानक एक बड़ा हादसा हुआ। बर्मन दादा को हार्ट अटैक हुआ। उन्हें इलाज और आराम दोनों की जरूरत थी। ऐसे मुश्किल वक्त में देव आनंद ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने फिल्म की शूटिंग छह महीने के लिए टाल दी।

देव आनंद ने कहा कि इस फिल्म का संगीत तो बर्मन दादा ही तैयार करेंगे, उसके लिए चाहे उन्हें छह महीने इंतजार क्यों न करना पड़े। इस बीच कुछ और बड़े निर्देशकों ने एसडी बर्मन को दिया हुआ काम वापस लेकर किसी और संगीतकार से कराया, लेकिन देव आनंद अपने फैसले पर अड़े रहे।

खैर, बर्मन दादा स्वस्थ होकर लौटे और फिल्म के संगीत को तैयार करने का काम फिर शुरू किया। न जाने ये संयोग था या बर्मन दादा को अपनी तबीयत के खराब होने की वजह से हुई देरी का अफसोस, लेकिन कहते हैं कि एसडी बर्मन ने सिर्फ पांच दिन में फिल्म ‘गाइड’ के सभी गानों को तैयार कर दिया। देव आनंद को तो उन पर भरोसा था ही, उन्होंने सभी गानों को तुरंत ‘अप्रूव’ कर दिया।

मुसीबत ये थी कि देव आनंद को एक गाना पसंद नहीं आया, लेकिन फिल्म आने के बाद राग मिश्र भैरवी में तैयार किया गया वही गाना फिल्म ‘गाइड’ का सबसे हिट गाना साबित हुआ। जो आज भी हिंदी फिल्मी संगीत में एक अमर गाना है। इस गाने के बोल थे-आज फिर जीने की तमन्ना है।

इस गाने की शूटिंग उदयपुर में हुई थी। देव आनंद इस गाने को मुंबई में रिकॉर्ड करवाकर आ तो गए, लेकिन उन्हें ये गाना पसंद नहीं आ रहा था। उन्होंने अपने साथियों से इस बात की चर्चा भी की। देव आनंद इस गाने को लेकर बर्मन दादा के काम से खुश नहीं थे। हालांकि, जब गाना यूनिट के बाकी लोगों ने सुना तो सभी ने खुलकर तारीफ की लेकिन देव आनंद अड़े रहे।

बाद में फिल्म के डायरेक्टर विजय आनंद ने ये कहकर बात टाली कि फिलहाल इस गाने को शूट कर लेते हैं। अगर बाद में फिल्म में अच्छा नहीं लगा तो कोई दूसरा गाना रिकॉर्ड कर लेंगे। अगले जितने भी दिन इस गाने की शूटिंग हुई, देव आनंद ने एक बात नोटिस की। सेट से लेकर होटल तक आते-जाते यूनिट का हर सदस्य यही गाना गुनगुना रहा होता था।

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