देवी प्रत्येक स्थान और समय के बोलने योग्य नहीं होते कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं होती मुझे अपनी दासी समझिए अपनी दासी समझिए अवरोध के भीतर में गूंगी हूं यहां संदिग्ध रहने के लिए मुझे ऐसा ही करना पड़ता है
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(शिविर का पिछला भाग जिसके पीछे पर्वतमाला की प्राचीर है, शिविर का एक कोना दिखलाई दे रहा है जिससे सटा हुआ चन्द्रातप टँगा है। मोटी-मोटी रेशमी डोरियों से सुनहले काम के परदे खम्भों से बँधे हैं। दो-तीन सुन्दर मंच रखे हुए हैं। चन्द्रातप और पहाड़ी के बीच छोटा-सा कुंज, पहाड़ी पर से एक पतली जलधारा उस हरियाली में बहती है। झरने के पास शिलाओं से चिपकी हुई लता की डालियाँ पवन में हिल रही हैं। दो चार छोटे-बड़े वृक्ष, जिन पर फूलों से लदी हुई सेवती की लता छोटा-सा झुरमुट बना रही है।
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