Hindi, asked by roseblackpink, 11 hours ago

.'द्वारपालेन' इति पदे का विभक्तिः है -​

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Answered by ss5429645
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Explanation:

पञ्चमी-विभक्ति नियम

पृथक्‌,विना,नाना आदि शब्दों के योग में जो शब्द उनमें पञ्चमी विभक्ति होती है। विकल्प से द्वितीया,तृतीया विभक्ति भी होती हैं।

उदाहरण--अस्माद्‌ ग्रामात्‌ पृथक्‌ वस।यहां पृथक्‌ शब्द के योग में ग्राम शब्द होने के कारण उसमें पञ्चमी विभक्ति हुई व सर्वनाम विशेषण होने के कारण इदम्‌ शब्द में भी पञ्चमी विभक्ति हुई।यहां पञ्चमी की जगह ग्रामेण,ग्रामम्‌ अर्थात्‌ द्वितीया या तृतीया विभक्ति भी की जा सकती है।

इसी प्रकार--२) अहं रामात्‌ पृथक्‌ गच्छामि( मैं-कर्ता,राम से-पृथक्‌-योग पञ्चमी,अलग-अव्यय,जाता हूं-क्रिया)।

३) अत्र मोहनात्‌ विना कार्यं न भविष्यति( यहां-अव्यय,मोहन के-विना-योग पञ्चमी,विना-अव्यय,कार्य-कर्ता,नहीं-अव्यय,होगा-क्रिया)।

४) देवदत्तात्‌ नाना कः एषः अस्ति( देवदत्त से-नाना-योग पञ्चमी,भिन्न-अव्यय,कौन-सर्वनाम,यह-सर्वनाम कर्ता,है-क्रिया)।

५) ग्रामाः नगरेभ्यः पृथग्‌ भवेयुः( गांव-कर्ता,नगरों से-पृथक्‌-योग पञ्चमी,अलग-अव्यय,होवें-क्रिया)।

६) घृतात्‌ विना भोजनं शोभनं न भवति( घी के-विना-योग पञ्चमी,भोजन-कर्ता,अच्छा-विशेषण,नही-अव्यय,होता है-क्रिया)।

७) मम त्वत्‌ नाना व्यक्तित्वः अस्ति( मेरा-सम्बन्ध-बोधक षष्ठी,तुमसे-नाना-योग पञ्चमी,भिन्न-अव्यय,व्यक्तित्व-कर्ता,है-क्रिया)।

८) मम कार्यं मित्रात्‌ पृथग्‌ अस्ति( मेरा-सम्बन्धबोधक षष्ठी,कार्य-कर्ता,मित्र से-पृथक्‌-योग पञ्चमी,अलग-अव्यय,है-क्रिया)।

९) सीतायाः विना रामाय एतत्‌ स्थानं रुचिकरं न अस्ति( सीता के-विना-योग पञ्चमी,बिना-अव्यय,राम के लिए-चतुर्थी,यह-सर्वनाम,स्थान-कर्ता,रुचिकर-विशेषण,नही-अव्यय,है-क्रिया)।

१०) दुर्योधनस्य गुणाः युधिष्ठिराद्‌ नाना आसन्‌(दुर्योधन के-सम्बन्धबोधक षष्ठी,गुण-कर्ता,युधिष्ठिर से-नाना-योग पञ्चमी,भिन्न-अव्यय,थे-क्रिया)।

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