द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पञ्चमीं एवं षष्ठी विभक्ति को उदहारण सहित लिखो
Answers
Answered by
8
Answer:
PLEASE MARK ME AS BRAINLIEST SO I WILL FOLLOW YOU help me to get my next rank...........…...…………
Answered by
23
सभी विभक्तिया उदाहरण सहित : -
द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक)
- जिसके ऊपर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है उसे कर्म कारक कहा जाता हैं।
- कर्म कारक का कारक चिन्ह ‘को’ है l
- कर्म में हमेशा द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है l
- यदि वाक्य में अभितः, परितः, समया, निकषा जैसे शब्द आते हैं तो वहां द्वितीय विभक्ति का प्रयोग किया जाता है l
- यथा— ग्रामं सर्वतः क्षेत्राणि सन्ति।
विद्यालयं निकषा नदी अस्ति।
तृतीया विभक्ति (करण कारक)
- क्रिया की सिद्धि में सहायक वस्तु या साधन को करण कारक कहा जाता हैं।
- करण कारक में हमेशा तृतीया विभक्ति होती है।
- इसका चिह्न ‘से’ तथा ‘के द्वारा है l
- येनाङ्गविकारः, सह, साकम्, समम्’ और ‘सार्धम् शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग करते हैं l
- यथा- सः मित्रेण सह गच्छति ।
सः नेत्रेण काणः अस्ति ।
चतुर्थी विभक्ति (सम्प्रदान कारक)
- जिसके लिए कार्य किया जाता है, उसे सम्प्रदान कारक कहते है।
- इसका चिह्न के लिए है।
- सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है l
- रुच्यर्थानां, क्रुध्, स्पृह, नमः शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति लगाई जाती है l
- यथा— गुरवे नमः ।
रामाय मिष्ठान्नं रोचते।
पञ्चमी विभक्ति (अपादान कारक)
- वस्तु से किसी पदार्थ का पृथक् होना अपादान कारक कह लाता हैं।
- इसका चिह्न ‘से’ है।
- अपादान कारक में पञ्चमी विभक्ति होती है l
- भय’ तथा ‘रक्षा’ अर्थ मे पंचमी विभक्ति लगाई जाती है l
- यथा- वृक्षात् फलानि पतन्ति ।
सः पापाद् बिभेति ।
षष्ठी विभक्ति (सम्बन्ध)
- इसका कारक चिन्ह का, के, की होता है l
- अधः, उपरि और तुल्यवाची शब्दों के योग में इसका प्रयोग करते हैं l
- यथा - ग्रामस्य बालकाः क्रीडन्ति ।
For more questions
https://brainly.in/question/25660039
https://brainly.in/question/24925043
#SPJ2
Similar questions