द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात के महा शक्तियों का उदय हुआ
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परिचय
द्वितीय विश्व युद्ध वर्ष 1939-45 के बीच होने वाला एक सशस्त्र विश्वव्यापी संघर्ष था।
इस युद्ध में दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी गुट धुरी शक्तियाँ (जर्मनी, इटली और जापान) तथा मित्र राष्ट्र (फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन) शामिल थे।
यह इतिहास का सबसे बड़ा संघर्ष था जो लगभग छह साल तक चला था।
इसमें लगभग 100 मिलियन लोग शामिल हुए थे और 50 मिलियन लोग (दुनिया की आबादी का लगभग 3%) मारे गए थे।
Explanation:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नई महाशक्तियों का उद्भव : -
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण देशों और महाद्वीपों की स्थिति में बदलाव आया। महाशक्तियों के रूप में ब्रिटेन और फ्राँस ने अपनी स्थिति को खो दिया तथा अब संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूएसएसआर ने इनकी जगह ले ली।
विउपनिवेशीकरण की शुरुआत : -
युद्ध के बाद ब्रिटेन और फ्राँस विभिन्न घरेलू और बाहरी समस्याओं से जूझने लगे। इन दोनों देशों का अपने उपनिवेशों पर से नियंत्रण खत्म होने लगा। इस प्रकार युद्ध के बाद अफ्रीका और एशिया में से उपनिवेशवाद का अंत हो गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना : -
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणामों में से एक थी।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर मानव जाति की आशाओं और आदर्शों को सुनिश्चित करता है जिसके आधार पर देश स्थायी शांति बनाए रखने के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।
हालाँकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत से बहुत पहले अटलांटिक चार्टर के तहत संयुक्त राष्ट्र की स्थापना पर सहमति बन चुकी थी।
शीत युद्ध की शुरुआत : -
युद्ध की समाप्ति के बाद शांति संधि स्थापित करने के लिये जर्मनी के पॉट्सडैम (Potsdam) में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। हिटलर के साथ युद्ध में शामिल देशों को हार का सामना करना पड़ा। जर्मनी और उसकी राजधानी बर्लिन को चार भागों में विभाजित कर दिया गया।
इन चारों भागों को ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस और सोवियत संघ द्वारा नियंत्रित किया जाना था।
तीन पश्चिमी सहयोगियों और सोवियत संघ के मध्य कई चीज़ों पर असहमति थी। परिणामस्वरूप जर्मनी दो भागों (पूर्वी जर्मनी, एक कम्युनिस्ट सरकार और पश्चिम जर्मनी, एक लोकतांत्रिक राज्य) में विभाजित हो गया।
इस विभाजन ने शीत युद्ध की नींव रखी।