देव देव आलसी पुकार निबंध
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शिक्षा की प्रक्रिया में आलस्य एक नकारात्मक कार्य है। एक आलसी छात्र अक्सर सबसे खराब छात्र होता है। जब कोई बच्चा पढ़ने और लिखने के लिए अवकाश चाहता है, तो उसका ज्ञान खराब होगा और उसके अंक कम होंगे। माता-पिता हमेशा अपने बच्चों की प्रगति के बारे में चिंता करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि केवल कड़ी मेहनत से ही कोई अपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है। बिना मेहनत के एक नई भाषा सीखना या गणित या भौतिकी को समझना असंभव है।
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सफलता परिश्रम के कदम चूमती है। सिर्फ आलसी लोग देव देव पुकारते रहते हैं और कुछ काम नहीं करते हैं। परिश्रम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक मात्र साधन है। सब महान व्यक्तियों ने एक अनुशासित और नियमित जीवन व्यतीत करा। उन्होंने कठोर परिश्रम किया, इसीलिए वे जीवन में अपना लक्ष्य प्राप्त कर सके। नियमों का पालन करना अनुशासन का दूसरा नाम है। अपना उद्देश्य प्राप्त करने और एक सफल व्यक्ति बनने के लिए समय की पाबन्दी भी बहुत आवश्यक है। जो व्यक्ति ठीक समय पर उपस्थित नहीं हो सकता है वह जीवन के अन्य कार्य कैसे ठीक समय पर पूरा कर सकता है।
सब दिन एक समान नहीं होते हैं। किसी दिन सुख मिलता है और किसी दिन दुःख। जीवन हमेशा एक जैसा नहीं होता है। सबके दिन बदलते हैं। एक परिश्रमी व्यक्ति सुख के समय घमंडी बनकर बुरा व्यवहार नहीं करता है। दुःख के समय निराश न होकर हौंसले के साथ काम करता रहता है।
वह अपने जीवन में दृढ़ विश्वास और साहस के साथ काम करता रहता है। कहा जाता है कि दुःख के बाद सुख के दिन अवश्य आते हैं। परिश्रमी व्यक्ति दुःख के दिनों में यह सोचकर धैर्य रखते हैं की सुख आने वाला है और अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए परिश्रम करते रहते हैं।
समय बदलता रहता है। दिन और रात दोनों होते हैं। जिस प्रकार सवेरा हमेशा नहीं रहता वैसे ही रात भी हमेशा नहीं रहती। राजा हो या रंक, सबके दिन बदलते हैं। अनेक कहानियाँ हैं जिनमें हम देखते हैं कि राजा सब कुछ खो देता है और गरीब हो जाता है या एक गरीब आदमी मेहनत करके या भाग्य से बहुत अमीर बन जाता है। इसलिए एक परिश्रमी व्यक्ति आशा रखकर काम करता है और आगे बढ़ता है।
आलसी लोग काम नहीं करना चाहते हैं इसलिए बहाना बनाते हैं और कहते हैं कि वे भगवान को पुकार रहे हैं ताकि वे उनका काम पूरा कर दें। परन्तु वे यह नहीं जानते कि बिना परिश्रम के कुछ प्राप्त नहीं होता है।