दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नही
देह सुखी हो पर मन
के
दुखका का अंत नहीं - रस
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दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नही
देह सुखी हो पर मन
के दुखका का अंत नहीं
उत्तर:-करुण रस
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