द्विवेदी युग कब से कब तक माना जाता है?
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द्विवेदी युग हिंदी साहित्य में भारतेंदु युग के बाद का समय है। इस युग का नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से रखा गया है। महावीर प्रसाद द्विवेदी एक ऐसे साहित्यकार थे, जो बहुभाषी होने के साथ ही साहित्य के इतर विषयों में भी समान रुचि रखते थे।
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हिंदी साहित्य में दिवेदी युग बीसवीं सदी के पहले दो दशकों का युग है। द्विवेदी युग का समय सन 1900 से 1920 तक माना जाता है। बीसवीं शताब्दी के पहले दो दशक के पथ-प्रदर्शक, विचारक और साहित्य नेता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर ही इस काल का नाम "द्विवेदी युग" पड़ा। इसे "जागरण सुधारकाल" भी कहा जाता है।
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द्विवेदी युग कब से कब तक माना जाता है?
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द्विवेदी युग
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हिंदी साहित्य में दिवेदी युग बीसवीं सदी के पहले दो दशकों का युग है। द्विवेदी युग का समय सन 1900 से 1920 तक माना जाता है। बीसवीं शताब्दी के पहले दो दशक के पथ-प्रदर्शक, विचारक और साहित्य नेता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर ही इस काल का नाम "द्विवेदी युग" पड़ा। इसे "जागरण सुधारकाल" भी कहा जाता है।
द्विवेदी युग के प्रमुख काव्य एवं उनके कवि:
1. अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध':
1. प्रिय प्रवास (1914 ई.)
2. वैदेही वनवास (1940 ई.)
2. मैथलीशरण गुप्त:
1. साकेत (1931 ई.)
2. यशोधरा (1932 ई.)
3. श्यामनारायण पाण्डेय: हल्दीघाटी
4. नाथूराम शर्मा 'शंकर': गर्भरण्डारहस्य
5. रामचरित उपाध्याय: रामचरित-चिंतामणि (1920 ई.)
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