द्वंयं श्लोकों अर्थसहित लिखिये
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The two shloks with artha is given below. :-
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- येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।। अर्थ — जिस मनुष्यों में विद्या का निवास है, न मेहनत का भाव, न दान की इच्छा और न ज्ञान का प्रभाव, न गुणों की भिव्यक्ति और न धर्म पर चलने का संकल्प, वे मनुष्य नहीं वे मनुष्य रूप में जानवर ही धरती पर विचरते हैं।
- यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति। शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥12.17॥
- भावार्थ :
- जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है ।
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