दैवमिति सञ्चिन्त्य आत्मनः उद्योगम् न त्यजेत्।
अनुयोग विना तिलानां तैलं नोपजायते।
श्लोक हिंदी में
Answers
Answered by
1
Answer:
उद्यमी पुरूष के पास ही सदैव लक्ष्मी जाती है । सब कुछ भाग्य पर निर्भर है ऐसा कायर पुरूष सोचते हैं । इसलिए भाग्य को छोड़ कर हमें उद्यम करना चाहिए । यथाशक्ति प्रयास करने के बावजूद भी यदि सफलता नहीं मिली तो इसमें कोई दोष नहीं है।
Similar questions
Social Sciences,
3 months ago
Computer Science,
3 months ago
English,
7 months ago
Biology,
7 months ago
Math,
11 months ago