देवनागरी लिपि के विकास पर सारमर्भित निबंध लिखिए।
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देवनागरी भारत की एक प्रमुख लिपि है, जो बाईं से दाईं ओर लिखी जाती है। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, हरियाणवी, बुंदेली भाषा, डोगरी, खस, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली भाषाएँ), तमांग भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, नागपुरी, मैथिली, संताली, राजस्थानी भाषा, बघेली आदि भाषाएँ और स्थानीय बोलियाँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, भाषाएँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे ‘शिरोरेखा’ कहते हैं।
Explanation:
अर्थात् देवनागरी लिपि भारत की सबसे लोकप्रिय और प्रयुक्त लिपि है। इसका व्यवहार राजस्थान से बिहार तथा हिमाचल प्रदेश से मध्य प्रदेश की सीमा तक होता है। इस विस्तृत प्रदेश में हिंदी भाषा एवं अन्य प्रचलित समस्त बोलियाँ इसी लिपि में लिखी जाती है।
मराठी और गुजराती में भी लिपि के रूप में देवनागरी का ही प्रयोग किया जाता है। इसे से कैथी, मैथिली तथा बंगला आदि लिपियाँ विकसित हुई हैं। डॉ॰ उदयनारायण तिवारी के शब्दों में, ‘प्राचीन काल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान एवं महाराष्ट्र में इसका प्रचार एवं प्रसार था।
मध्य प्रदेश की लिपि होने के कारण देवनागरी अत्यंत महत्वपूर्ण लिपि है। इसमें लिखित सबसे प्राचीन लेख सातवीं-आठवीं शताब्दी के हैं। ग्यारहवीं शताब्दी तक यह लिपि पूर्णता प्राप्त कर चुकी थी और उत्तरी भारत में सर्वत्र इसका बोलबाला था। गुजरात, महाराष्ट्र तथा राजस्थान में इसमें ताम्रपत्र पर लिखे हुए अनेक प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ उपलब्ध हुए हैं।