देवनागरी लिपि और उसकी वैज्ञानिकता पर निबन्ध | Write an Essay on Devanagari Script and its Science in Hindi
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देवनागरी लिपि और उसकी वैज्ञानिकता
देवनागरी एक भारतीय लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं।इस लिपि का प्रयोग वैदिक युग के पूर्व से ही होता आ रहा है ।
देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है।सभ्यता के विकास के साथ इसे भी आकर्षक तथा व्यवस्थित करके वर्तमान रूप में लाया गया । देवनागरी की वर्णमाला में १२ स्वर और ३४ व्यंजन हैं। शून्य या एक या अधिक व्यंजनों और एक स्वर के मेल से एक अक्षर बनता है।
देवनागरी, 'स्माल लेटर" और 'कैपिटल लेटर' की अवैज्ञानिक व्यवस्था से मुक्त है।देवनागरी लिपि के प्रत्येक वर्ण प्राय: निर्दोष हैं । टंकण की सुविधा को ध्यान में रखते हुए देवनागरी लिपि के स्वर, व्यंजन, संयुक्त अक्षर, पूर्ण विराम आदि के लेखन में जो बदलाव लाए गए हैं, इतना तो मानना ही होगा कि उससे लिपि के आकार-गठन का सौंदर्य कम हो गया है । साथ ही संयुक्त अक्षरों की उच्चारण-शुद्धि में भी विकार की संभावना बढ़ गई है । अत: इस दिशा में और भी अधिक सावधानी से संशोधन की गुंजाइश है । जो भी हो, नागरी लिपि अपने वर्तमान रूप में निर्दोष है ।
देवनागरी लिपि और उसकी वैज्ञानिकता।
Explanation:
देवनागरी लिपि भारत की एक लिपि है जिससे अनेक भाषाओं का निर्माण होता है। देवनागरी लिपि हम बाएं से दाएं और लिखते हैं। देवनागरी लिपि का उपयोग कई हजार वर्षों पूर्व से होता आ रहा है।
देवनागरी को नगरी भी कहा जाता है यह भारतीय उपमहाद्वीप में उपयोग की जाने वाली प्राचीन ब्राह्मी लिपि पर अधारित है। देवनागरी लिपि जिसमे 14 स्वर 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ग है दुनिया में चौथी सबसे व्यापक रूप से बोली अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली है जिसका उपयोग 120 से अधिक भाषाओं में किया जा रहा है|
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