Hindi, asked by amancric1730, 13 days ago

देवसेना का गीत कविता


आह ! वेदना मिली विदाई!
मैंने भरम-वश जीवन संचित,
मधुकरियो की भीख लुटाई
छलछल थे संध्या के श्रमकण
आंसू-से गिरते थे प्रतिक्षण।
मेरी यात्रा पर लेती थी-
निरवता अनंत अंगड़ाई

देवसेना का गीत कविता की व्याख्या​

Answers

Answered by mnhorjmp34
4

Answer:

व्याख्या : देवसेना कहती है कि मेरे जीवन रूपी रथ पर सवार होकर प्रलय अपने रास्ते पर चला जा रहा है। ... उसका पूरा जीवन ही दुख में है वह करुणा के स्वर में कहती है कि अंतिम समय में हृदय की वेदना अब उससे संभल नहीं पाएगी इसी कारण उसे मन की लाज गवानी पड़ रही है।

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