Hindi, asked by rabhasamir4, 8 months ago

देवसेना के जीवन की वेदना कया थी? उसकी हार या निराशा के कारणों पर परकाश डालिए।​

Answers

Answered by Arpita1678
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Explanation:

देवसेना के जीवन की वेदना यह थी कि वह स्कंदगुप्त से प्रेम कर बैठती है परन्तु स्कंदगुप्त के हृदय में उसके लिए कोई स्थान नहीं है। जब देवसेना को इस सत्य का पता चलता है, तो उसे बहुत दुख होता है। वह स्कंदगुप्त को छोड़कर चली जाती है। उन्हीं बीते पलों को याद करते हुए वह कह उठती है कि मैंने प्रेम के भ्रम में अपनी जीवन भर की अभिलाषाओं रूपी भिक्षा को लुटा दिया है। अब मेरे पास अभिलाषाएँ बची ही नहीं है। अर्थात् अभिलाषों के होने से मनुष्य के जीवन में उत्साह और प्रेम का संचार होता है। परन्तु आज उसके पास ये शेष नहीं रहे हैं।

सम्राट स्कंदगुप्त से राजकुमारी देवसेना प्रेम करती थी। उसने अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत प्रयास किए। परन्तु उसे पाने में उसके सारे प्रयास असफल सिद्ध हुए। यह उसके लिए घोर निराशा का कारण था। वह इस संसार में बंधु-बांधवों रहित हो गई थी। पिता पहले ही मृत्यु की गोद में समा चुके थे तथा भाई भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ था। वह दर-दर भिक्षा माँगकर गुजरा कर रही थी। उसे प्रेम का ही सहारा था। परन्तु उसने भी उसे स्वीकार नहीं किया था।

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