देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता थी
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फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती है क्योंकि वह सन्यासी होते हुए भी सबके साथ पारिवारिक रिश्ता बना कर रखते थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह सबके घरों में उत्सवों और संस्कारों में पुरोहित की तरह उपस्थित रहते थे । हर व्यक्ति उनसे स्नेह और सहारा प्राप्त करता था। वात्सल्य तो उनकी नीली आंखों में तैरता रहता था।
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फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती है क्योंकि वह सन्यासी होते हुए भी सबके साथ पारिवारिक रिश्ता बना कर रखते थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह सबके घरों में उत्सवों और संस्कारों में पुरोहित की तरह उपस्थित रहते थे । हर व्यक्ति उनसे स्नेह और सहारा प्राप्त करता था। वात्सल्य तो उनकी नीली आंखों में तैरता रहता था।
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