देवव्रत का नाम भीष्म क्योीं पड़ा ?
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देवव्रत का नाम भीष्म कैसे पड़ा था? देवव्रत के पिता राजा शान्तनु धीवर की रूपवती पुत्री सत्यवती से विवाह करना चाहते थे परन्तु उसने एक शर्त रखी कि उसकी पुत्री से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी हो । ... अपनी भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत भीष्म कहलाए ।
Explanation:
देवव्रत के पिता राजा शान्तनु धीवर की रूपवती पुत्री सत्यवती से विवाह करना चाहते थे परन्तु उसने एक शर्त रखी कि उसकी पुत्री से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी हो । शान्तनु इसके लिए तैयार न हुए और उदास होकर महल को लौट आए । देवव्रत को जब यह बात मालूम पड़ी तो वह स्वयं धीवर के पास गए और अपने पिता के विवाह की बात की और कहा कि मुझे राज्य की इच्छा नहीं है और आपकी पुत्री का पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी होगा। यह सुनकर धीवर ने कहा कि राजकुमार मुझे यह चिंता है कि भविष्य में कहीं आपके मेरी पुत्री के पुत्र से राज्य छीन न लें तब देवव्रत ने उसी समय आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन एवं विवाह न करने की प्रतिज्ञा कर ली । शान्तनु का सत्यवती के साथ विवाह हो गया । देवव्रत की पितृ भक्ति से प्रसन्न होकर शान्तनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया । अपनी भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत भीष्म कहलाए ।