देवयज्ञ पर्या वरण सेकि स प्रकार सेसं बं धि त ह,ैस्पष्ट कीजि ए।
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देवयज्ञ : विशेष तरीके से हवन करने को 'देवयज्ञ' कहा जाता है जिससे ऑक्सिजन का लेवल बढ़ता है और शुद्धता और सकारात्मकता बढ़ती है। रोग और शोक मिटते हैं। हवन करने के लिए किसी वृक्ष को काटा नहीं जाता ऐसा करने वाले धर्म विरुद्ध आचरण करते हैं। जंगल से समिधाएं बिन कर लाई जाती है अर्थात जो पत्ते, टहनियाँ या लकड़िया वृक्ष से स्वत: ही धरती पर गिर पड़े हैं उन्हें ही हवन के लिए चयन किया जाता है।
वैश्वदेवयज्ञ : वैश्वदेवयज्ञ को भूत यज्ञ भी कहते हैं। पंच महाभूत से ही मानव शरीर है। सभी प्राणियों तथा वृक्षों के प्रति करुणा और कर्त्तव्य समझना उन्हें अन्न-जल देना ही भूतयज्ञ या वैश्वदेव यज्ञ कहलाता है। अर्थात जो कुछ भी भोजन कक्ष में भोजनार्थ सिद्ध हो उसका कुछ अंश उसी अग्नि में होम करें जिससे भोजन पकाया गया है। फिर कुछ अंश गाय, कुत्ते और कौवे को दें।
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