दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है, वर्णन करें।
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उत्तर :
दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार का होता है :
(क) कई केसों में यह दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा बनाए तथा निर्देशित किए जाते हैं। तब ये दबाव समूह उन राजनीतिक दलों की बाजुओं के रूप में कार्य करते हैं । उदाहरण के तौर पर अलग अलग राजनीतिक दलों द्वारा बनाई गई लेबर यूनियनें।
(ख) कई बार आंदोलन ही राजनीतिक दलों को जन्म दे देते हैं। अगर आंदोलन के उद्देश्य अधिक खींच जाए तो कई बार यह राजनीतिक दल का भी रूप ले लेते है । उदाहरण के तौर पर डी.एम.के तथा ए.आई.ए.डी.एम.के की जड़े भी आंदोलनों से ही निकली है।
(ग) कई बार राजनीतिक दल तथा हित समूह एक दूसरे के विरुद्ध आमने सामने खड़े हो जाते हैं । तब उन्हें प्रत्यक्ष रिश्ते नहीं होते बल्कि उनमें बातचीत होती है । उनके विचार एक दूसरे के विपरीत होते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Answer:-
दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार का होता है :
(क) कई केसों में यह दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा बनाए तथा निर्देशित किए जाते हैं। तब ये दबाव समूह उन राजनीतिक दलों की बाजुओं के रूप में कार्य करते हैं । उदाहरण के तौर पर अलग अलग राजनीतिक दलों द्वारा बनाई गई लेबर यूनियनें।
(ख) कई बार आंदोलन ही राजनीतिक दलों को जन्म दे देते हैं। अगर आंदोलन के उद्देश्य अधिक खींच जाए तो कई बार यह राजनीतिक दल का भी रूप ले लेते है । उदाहरण के तौर पर डी.एम.के तथा ए.आई.ए.डी.एम.के की जड़े भी आंदोलनों से ही निकली है।
(ग) कई बार राजनीतिक दल तथा हित समूह एक दूसरे के विरुद्ध आमने सामने खड़े हो जाते हैं । तब उन्हें प्रत्यक्ष रिश्ते नहीं होते बल्कि उनमें बातचीत होती है । उनके विचार एक दूसरे के विपरीत होते हैं।
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