Hindi, asked by riddhi9672qt, 9 months ago

दहेज एक कुप्रथा पर निबंध​

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Answered by ritikkushwaharaj
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Answer:

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना

प्राचीन काल से ही दहेज प्रणाली हमारे समाज के साथ-साथ विश्व के कई अन्य समाजों में भी प्रचलित है। यह बेटियों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में मदद करने के रूप में शुरू हुई थी क्योंकि वे विवाह के बाद नए स्थान पर नए तरीके से अपना जीवन शुरू करती है पर समय बीतने के साथ यह महिलाओं की मदद करने के बजाए एक घृणित प्रथा में बदल गई।

दहेज सोसायटी के लिए एक अभिशाप है

दहेज दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे और उसके परिवार को नकद, संपत्ति और अन्य संपत्तियों के रूप में उपहार देने की प्रथा है जिसे वास्तव में महिलाओं, विशेष रूप से दुल्हनों, के लिए शाप कहा जा सकता है। दहेज ने महिलाओं के खिलाफ कई अपराधों को जन्म दिया है। यहाँ विभिन्न समस्याओं पर एक नजर है जो इस प्रथा से दुल्हन और उसके परिवार के सदस्यों के लिए उत्पन्न होती है:

परिवार पर वित्तीय बोझ

हर लड़की के माता-पिता उसके जन्म के बाद से उसकी शादी के लिए बचत करना शुरू कर देते हैं। वे कई साल शादी के लिए बचत करते हैं क्योंकि शादी के मामले में सजावट से लेकर खानपान तक की पूरी जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर होती है। इसके अलावा उन्हें दूल्हे, उसके परिवार और उसके रिश्तेदारों को भारी मात्रा में उपहार देने की आवश्यकता होती है। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों से पैसे उधार लेते हैं जबकि अन्य इन मांगों को पूरा करने के लिए बैंक से ऋण लेते हैं।

जीवन स्तर को कम करना

दुल्हन के माता-पिता अपनी बेटी की शादी पर इतना खर्च करते हैं कि वे अक्सर अपने जीवन स्तर को कम करते हैं। कई लोग बैंक ऋण के चक्कर में फंसकर अपना पूरा जीवन इसे चुकाने में खर्च कर देते हैं।

भ्रष्टाचार को सहारा देना

जिस व्यक्ति के घर में बेटी ने जन्म लिया है उसके पास दहेज देने और एक सभ्य विवाह समारोह का आयोजन करने से बचने का कोई विकल्प नहीं है। उन्हें अपनी लड़की की शादी के लिए पैसा जमा करना होता है और इसके लिए लोग कई भ्रष्ट तरीकों जैसे कि रिश्वत लेने, टैक्स चोरी करने या अनुचित साधनों के जरिए कुछ व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करना शुरू कर देते हैं।

लड़की के लिए भावनात्मक तनाव

सास-ससुर अक्सर उनकी बहू द्वारा लाए गए उपहारों की तुलना उनके आसपास की अन्य दुल्हनों द्वारा लाए गए उपहारों से करते हैं और उन्हें नीचा महसूस कराते हुए व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हैं। लड़कियां अक्सर इस वजह से भावनात्मक रूप से तनाव महसूस करती हैं और मानसिक अवसाद से पीड़ित होती हैं।

शारीरिक शोषण

जहाँ कुछ ससुराल वालों ने अपनी बहू के साथ बदसलूकी करने की आदत बना रखी है और कभी भी उसे अपमानित करने का मौका नहीं छोड़ते वहीँ कुछ ससुराल वाले अपनी बहू का शारीरिक शोषण करने में पीछे नहीं रहते। कई मामले दहेज की भारी मांग को पूरा करने में अपनी अक्षमता के कारण महिलाओं को मारने और जलाने के समय-समय पर उजागर होते रहते हैं।

कन्या भ्रूण हत्या

एक लड़की को हमेशा परिवार के लिए बोझ के रूप में देखा जाता है। यह दहेज प्रणाली ही है जिसने कन्या भ्रूण हत्या को जन्म दिया है। कई दम्पतियों ने कन्या भ्रूण हत्या का विरोध भी किया है। भारत में नवजात कन्या को लावारिस छोड़ने के मामले भी सामान्य रूप से उजागर होते रहे हैं।

निष्कर्ष

दहेज प्रथा की जोरदार निंदा की जाती है। सरकार ने दहेज को एक दंडनीय अपराध बनाते हुए कानून पारित किया है लेकिन देश के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी इसका पालन किया जा रहा है जिससे लड़कियों और उनके परिवारों का जीना मुश्किल हो रहा है।

Explanation:

Answered by prateekmishra8600
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Answer:

दहेज प्रथा, जिसमें दुल्हन के परिवार को दूल्हे के परिवार के लिए नकदी के रूप में उपहार देने और कीमती चीजें देना भी शामिल है, की काफी हद तक समाज द्वारा निंदा की जाती है लेकिन कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि इसका अपना महत्व है और लोग अभी भी इसका अनुसरण कर रहे हैं तथा यह दुल्हन को कई तरीकों से लाभ पहुँचा रही है।

क्या दहेज प्रणाली के कोई लाभ हैं?

कई दंपति इन दिनों स्वतंत्र रूप से रहना पसंद करते हैं और उनको दहेज में मिली ज्यादातर नकदी, फर्नीचर, कार और अन्य ऐसी संपत्तियां शामिल हैं जो उनके लिए वित्तीय सहायता के रूप में काम करती हैं और उन्हें अपना नया जीवन शुरू करने में मदद करती हैं। शादी के वक़्त दोनों दूल्हा और दुल्हन अपना कैरियर शुरू करते हैं और वे आर्थिक रूप से इतने अच्छे नहीं होते कि वे इतने ज्यादा खर्चों को एक बार में वहन कर सकें। लेकिन क्या यह एक वैध कारण है? यदि यह मामला है तो दुल्हन के परिवार पर पूरा बोझ डालने के बजाए दोनों परिवारों को उन्हें बसाने में निवेश करना चाहिए। इसके अलावा यह यह भी हो सकता है कि यदि दोनों परिवार नव-दम्पति को बिना ऋण वित्तीय सहायता प्रदान करें।

कई लोग यह भी तर्क देते हैं कि जो लड़कियां दिखने में अच्छी नहीं होती वे दूल्हे की वित्तीय मांगों को पूरा करके शादी कर लेती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लड़कियों को बोझ के रूप में देखा जाता है और जैसे ही वे बीस वर्ष की उम्र पार कर लेती हैं उनके माता-पिता की प्राथमिकता यही रहती है कि वे उनकी शादी कर दें। ऐसे मामलों में भारी दहेज देना और यह बुरी प्रथा उन लोगों के लिए वरदान जैसी होती है जो अपनी बेटियों के लिए दूल्हा खरीदने में सक्षम हैं। हालांकि अब ऐसा समय है जब ऐसी सोच को बदलना चाहिए।

दहेज प्रथा के समर्थकों द्वारा यह भी माना जाता है कि दुल्हन और उनके परिवार को भारी मात्रा में उपहार उपलब्ध कराने की स्थिति में समाज में उनके परिवार की इज्ज़त बढ़ जाती है। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में इसने लड़कियों के खिलाफ काम किया है।

निष्कर्ष

दहेज प्रथा के अधिवक्ता इसका समर्थन करने के लिए विभिन्न अनुचित कारणों का समर्थन कर सकते हैं लेकिन तथ्य यह है कि यह पूरी तरह से समाज को अधिक नुकसान पहुंचाता है।

Explanation:

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