दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है स्पष्ट कीजिए 50 शब्दोें में
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दहेज मूल रूप से शादी के दौरान दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे के परिवार को दिए नकदी, आभूषण, फर्नीचर, संपत्ति और अन्य कीमती वस्तुओं आदि की इस प्रणाली को दहेज प्रणाली कहा जाता है। दहेज प्रणाली समाज में प्रचलित बुराइयों में से एक है।
कहीं यह शोषण नकद धन-राशि के रूप में होता है तो कहीं आभूषणों के रूप में। कहीं लड़के की पढ़ाई के खर्च के रूप में दहेज वसूल किया जाता है, तो कहीं दहेज जगह-जमीन, मोटरकार-स्कूटर या अन्य रूप में लिया जाता है। प्रकार कोई भी हो, दहेज के लेन-देन के बिना कन्या डोली में नहीं चढ़ सकती है। यही कारण है आज देश में दहेज की समस्या बढ़ती चली जा रही है।नववधुओं को अनेक प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक यातनाएँ दी जाती हैं। दहेज के लालच में पुत्र का दूसरा विवाह कराने के लिए पुत्रवधुओं को विष देकर या जलाकर मार डाला जाता है। अधिकांश मामलों में तो त्रस्त नववधुएँ स्वयं ही आत्महत्या कर लेती हैं।
सरकार द्वारा बनाए गए सख्त कानूनों के बावजूद दहेज प्रणाली की अभी भी समाज में एक मजबूत पकड़ है और आये दिन कई महिलाएं इसका शिकार हो रहे है। इस समस्या को समाप्त करने के लिए देश के हर व्यक्ति को अपना सोच बदलना होगा। हर व्यक्ति को इसके खिलाफ लड़ने के लिए महिला को जागरूक करना होगा।