'दहेज़ प्रथा-एक सामाजिक कुरीति' विषय पर 100-150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
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अगर हाँ, तो आइए जानते हैं दहेज प्रथा क्या है ?
जानिए इस आर्टिकल से दहेज प्रथा के कारण, और दहेज प्रथा को रोकने के उपाय|
इस आर्टिकल से आप बच्चों के स्कूल में दिए जाते दहेज प्रथा पर निबंध भी लिख सकते हैं|
विषय सूचि
दहेज प्रथा पर निबंध
जानिए दहेज प्रथा क्या है
दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है जो की समाज के आदर्शवादी होने पर सवाल्या निशाँ लगा देता है| दहेज लेने या देने को दहेज प्रथा कहा जाता गणतंत्र दिवस पर भाषण (जानिए गणतंत्र क्या है, गणतंत्र दिवस क्यूँ मनाया जाता है ओर इसका क्या महत्व है )
हमारे समाज में किसी लड़की की शादी के समय लड़की के परिवार वालों के द्वारा लड़के या उसके परिवार वालों को नगद या किसी भी प्रकार की किमती चीज़ बिना मूल्य में देने को दहेज़ कहा जाता है| जिसका अर्थ लड़के की परिवार वालों के द्वारा लड़के की मूल्य भी समझा जा सकता है| दहेज प्रथा एक सामाजिक समस्या है| दहेज प्रथा गैर कानूनी होने के बावजूद भी ये हमारे समाज में खुली तौर पर राज़ करती है|
जानिए दहेज प्रथा को विस्तार से:
दहेज प्रथा एक सामाजिक बीमारी है जो की आज कल समाज में काफी रफ़्तार पकडे गति कर रहा है| ये हमारे जीवन के मकसद को छोटा कर देने वाला प्रथा है| ये प्रथा पूरी तरह इस सोच पर आधारित है, की समाज के सर्व श्रेष्ठ व्यक्ति पुरुष ही हैं और नारी की हमारे समाज में कोई महत्व भी नहीं है
इस तरह की नीच सोच और समझ ही हमारे देश की भविष्य पर बड़ी रुकावट साधे बैठे हैं| दहेज की सोच हमारे देश की सभी उन्नति और आधुनिक तकनिकी की गाल पर एक तमाचा है|
दहेज प्रथा को भी हमारे समाज में लगभग हर श्रेणी की स्वीकृति मिल गयी है जो की आगे चल के एक बड़ी समस्या का रूप भी ले सकती है | दहेज प्रथा हमारे देश मे गरीब के परिवार से लेकर काफी बड़ी हस्तियों के घर का अनचाहा रीती बन गया है|
महात्मा गाँधी ने दहेज प्रथा के बारे में कहा था की
जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की जरुरी सर्त बना देता है , वह अपने शिक्षा और अपने देश की बदनाम करता है, और साथ ही पूरी महिला जात का भी अपमान करता है |
ये बात महात्मा गाँधी ने देश की आजादी से पहले कही थी| लेकिन आजादी के इतने साल बाद भी दहेज प्रथा को निभायी जाती है| हमारे सभ्य समाज के गाल पर इससे बड़ा तमाचा और क्या हो सकता है?
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हम सभी ऊँचे विचारों और आदर्श समाज की बातें करते हैं, रोज़ दहेज जैसी अपराध के खिलाफ चर्चे करते हैं, लेकिन असल जिंदगी में दहेज प्रथा जैसी जघन्य अपराध को अपने आस पास देख के भी हम लोग अनदेखा कर देते हैं| ये बड़ी ही शर्म की बात है|
दहेज प्रथा को निभाने वालों से ज्यादा दोषी इस प्रथा को आगे बढ़ते हुए देख समाज में कोई ठोस कदम नहीं उठाने वाले हैं|
दहेज प्रथा एक गंभीर समस्या :
दहेज प्रथा सदियों से चलती आई एक विधि है जो की बदलते वक़्त के साथ और भी गहरा होने लगा है| ये प्रथा पहले के जमाने में केवल राजा महाराजाओं के वंशों तक ही सिमित था| लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुजरता गया, इसकी जड़ें धीरे धीरे समाज के हर वर्ग में फैलने लगा| आज के दिन हमारे देश के प्रयात: परिवार में दहेज प्रथा की विधि को निभाया जाता है|
दहेज प्रथा लालच का नया उग्र-रूप है जो की एक दुल्हन की जिंदगी की वैवाहिक, सामाजिक, निजी, शारीरिक, और मानसिक क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव डालता है, जो की कभी कभी बड़े दर्दनाक परिणाम लाता है|
दहेज प्रथा की परिणाम के बारे में सोच कर हर किसी का रूह काँपने लगता है, क्यूंकि इतिहास ने दहेज प्रथा से तड़पती दुल्हनों की एक बड़ी लिस्ट बना रखी है| ये प्रथा एक लड़की की सारी सपनो और अरमानो को चूर चूर कर देता है जो की बड़ी ही दर्दनाक परिणाम लाता है |
लगभग देश की हर कोने में ये प्रथा को आज भी बड़े ही बेजिजक निभाया जाता है|
ये प्रथा केवल अमीरों तक ही सिमित नहीं है, बल्कि ये अब मध्य बर्गियों और गरीबों का भी सरदर्द बन बैठा है|
सोचने की बात है की देश में बढती तरक्की दहेज प्रथा को निगलने में कहाँ चूक जाती है? ऊँच शिक्षा और सामाजिक कार्यकर्मों के बावजूद दहेज प्रथा अपना नंगा नाच आज भी पूरी देश में कर रही है| ये प्रथा हर भारतीयों के लिए सच में एक गंभीर चर्चा बन गयी है जो की हमारे बहु बेटियों पर एक बड़ी ही मुसीबत बन गयी है|
दहेज प्रथा के कारण: Causes of Dowry System in Hindi:
दहेज प्रथा समाज की बीमारी है | इस बीमारी ने न जाने कितने ही परिवारों की खुशियों को मिटा दिया है| आज समाज में दहेज प्रथा पूरी तरह अपनी जगह बना चुकी है जो की एक दस्तक है आगे चलते समय के लिए|
दहेज प्रथा को बढ़ावा देने में समाज की ही अहम् भूमिका है | वह समाज ही है जो की दहेज प्रथा की जड़ को मजबूत कर रही है|
दहेज प्रथा की कई कारण हैं, जैसे की–
इ-शादी की विज्ञापन से फैलती दहेज प्रथा-
आज के इन्टरनेट युग में शादी के लिए लड़का-लड़की इन्टरनेट के माध्यम से भी खोजे जाते हैं| इस प्रकार की विज्ञापनों में लड़की की परिवार वाले कई बार अच्छे लड़के की आश में अपना स्टेटस और कमाई को ज्यादा बताने की भूल कर बैठते हैं, जो की लड़के वालों में कभी कभी लोभ आ जाता है| इस प्रकार की लोभ शादी के बाद मांग में बदल जाते हैं, जो की धीरे धीरे दहेज प्रथा को पनपने देता हैं| और दहेज की मांग होने लगती है|
2. समाज में पुरुष प्रधान की लहर से फैलती देहेज प्रथा-
हमारे समाज पुरुष प्रधान है| बचपन से ही लड़कियों की मन में ये बात बिठा दिया जाता है की लडके ही घर के अन्दर और बाहर प्रधान हैं, और लड़कियों को उनकी आदर और इज्ज़त करनी चाहिए| इस प्रकार की अंधविश्वास और दक्क्यानूसी सोच लड़कियों की लड़कों के अत्याचार के खिलाफ अवाज़ उठाने की साहस की गला घूंट देते हैं| और इससे बढती है लड़कियों पर अत्याचार और रूप लेता है विभिन्न मांगों की, जो की दहेज प्रथा का रास्ता खोल देता है|
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