Hindi, asked by satyajeetrai2008, 7 months ago

थका हारा सोचता मन सोचता मन
उलझती ही जा रही है एक उलझन
अँधेरे में अँधेरे से कब तलक लड़ते रहे
सामने जो दिख रहा है, वह सच्चाई भी कहे
भीड़ अन्धो की खड़ी खुश रेवड़ी खाती
अँधेरे के इशारे पर नाचती गाती
थका हाँसा सोचता मन सोचता मन
भूख प्यासी कानाफूसी दे उठी दस्तक
अँधा बन जा झुका दे तम द्वार पर मस्तक
रेवड़ी की बाट में तू रेवड़ी बन जा
तिमिर के दरबार में दरबान सा तन जा
थका हारा, उठा गर्दन जूझता मन
दूर उलझन | दूर उलझन | दूर उलझन
चल खड़ा हो पैर में यदि लग गई ठोकर
खड़ा हो संघर्ष में फिर रोशनी होकर
मृत्यु भी वरदान है संघर्ष के प्यारे
सत्य के संघर्ष में क्यों रोशनी हारे
देखते ही देखते तम तोड़ता है दम
और सूरज की तरह हम ठोकते है खम

1. thake hare man ki uljhan kya hai? 2. kavi kis prakar apni uljhan ko dur karta hai? 3. bhuk pyas ki vivashta ne kya paramarsh diya ? 4. kavi ne kise khush bataya hai?
5. 'timir ke darbar mein darban sa tan ja ' --- pankti mein kaun sa alankar hai?​

Answers

Answered by Anonymous
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दी गई कविता की पंक्तियों में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं।

1. थके हारे में कि उलझन क्या है?

उत्तर - थके हारे मन की उलझन यह है कि वह इस उलझन में उलझता ही जा रहा है तथा वह कब तक अंधेरे में अंधेरे से लड़ता रहेगा?

2. कवि अपनी उलझन किस प्रकार दूर करता है?

उत्तर - कवि अपनी उलझन अपने आप को समझा कर दूर करता है, वह अपने मन से कहता है कि यदि पैर में ठोकर लग गई है तो भी चल खड़ा हो तथा अपनी उलझन दूर कर।

3. भूख प्यास की विवशता ने क्या परामर्श दिया?

उत्तर - भूख प्यास की विवशता ने परामर्श दिया कि रेवड़ी क़ बाट में रेवड़ी बन जा, अंधेरे में दरबान बन कर तन जा।

4. कवि ने किसे खुश बताया है?

उत्तर - कवि ने रेवड़ी खाती अंधो की भीड़ को खुश बताया है।

5. तिमिर के दरबार में दरबान सा तन जा

उत्तर - उपुर्युक्त पंक्ति में उपमा अलंकार है।

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