India Languages, asked by mandalsavita2000, 5 months ago

दक्षिणी एशिया के सम्मुख चार बड़ी चुनौतियां कौन-कौन सी है कोई एक का विस्तार से वर्णन करें​

Answers

Answered by bharatimhajan1983
1

Answer:

hi

Explanation:

I don't know this answer sorry

Answered by chaudharyvikramc39sl
0

Answer:

दक्षिणी एशिया सम्मुख चार बड़ी चुनौतियां :

  1. बढ़ता आतंकवाद
  2. चीन की बढती ताकत
  3. बढ़ते मत भेद
  4. कमजोर आर्थिक परिदृश्य

Explanation:

दक्षिणी एशिया सम्मुख चार बड़ी चुनौतियां :

  1. बढ़ता आतंकवाद
  2. चीन की बढती ताकत
  3. बढ़ते मत भेद
  4. कमजोर आर्थिक परिदृश्य

बढ़ते मत भेद :

       चीन से निपटने का प्रत्येक देश का अपना-अपना नजरिया है। बीजिंग के साथ एक द्वीप से जुड़े विवाद पर फिलिपीन्स ने वल्र्ड कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वियतनाम ने दक्षिण चीन सागर में बाहरी ताकतों को मदद के लिए बुलाया है। सिडनी स्थित लोवी इंस्टीट्यूट के रोरी मेडकाफ के अनुसार, ‘ एबट के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया एशिया में अमेरिकी गठबंधन को बढ़ाने की एक नई नीति और दक्षिणपूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संघ चाहता है।’ वहीं जापान और भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को भी बढ़ा रहे हैं और मोदी चीन के साथ भी व्यापार और निवेश के रास्ते बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं।

चूंकि बीजिंग अपनी शर्तों पर अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरी करना चाहता है, नतीजतन दुनिया भर में कई देश सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। इस बारे में वॉशिंगटन के मिले-जुले नजरिए से भी ज्यादा मदद नहीं मिलती। हालांकि, अमेरिका ही है, जो चीन की चिंता का केंद्र है। कोंडपल्ली चेताते हैं, ‘अमेरिका के ऐसे जवाब के कारण ही सुरक्षात्मक नीति चीन के खिलाफ एक कारगर तरीके के रूप में सामने आई है।’

पूर्वी एशिया की ओर मुड़ती यह तनावपूर्ण रेखा ही भारत के लिए सबसे कठिन राजनयिक चुनौती के रूप में खड़ी है। मोदी की मुलाकात इधर एक के बाद एक जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेताओं से होगी। समग्र एशियाई सुरक्षा पर उनकी सोच पर इन सभी नेताओं की नजरें रहेंगी। वह विशेषकर यह जानना चाहेंगे कि क्या सचमुच मोदी भारत में फिर से चुम्बकीय तत्व पैदा कर सकते हैं। मेडकाफ कहते हैं, ‘मोदी के नेतृत्व में भारत की पूर्वी एशिया में रखवाले की भूमिका पर काफी कुछ निर्भर करता है। इसलिए जापान, वियतनाम, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया व अन्य कुछ देशों के साथ भारत की नई शुरुआत पर नजरें रहेंगी।’ घरेलू जमीन पर मोदी ने खुद को कूटनीति में सिद्धहस्त राजनेता के तौर पर दिखाया है, लेकिन वैश्विक मंच पर यह काम खासा कठिन रहेगा।

#SPJ3

Similar questions