Hindi, asked by firojyadav128, 7 months ago

दक्षिण एशिया के देशों में शांति व सहयोग बढ़ाने के क्या क्या प्रयास किए जा सकते हैं कोई पांच​

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Answered by sahilrajsingh228
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Answer:

क्षेत्र के नेताओं में राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव के कारण, क्षेत्रीय संगठन अंतर-क्षेत्रीय सम्पर्क सुगम बनाने में प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।

South Asia, Connectivity, Hari Jha, SAARC, BBIN, BIMSTEC

सड़कमार्ग, रेलवे, जलमार्ग, वायुमार्ग और हाल ही में बिछाये गए ऑप्टीकल फाइबर नेटवर्क के माध्यम वाली परिवहन और संचार व्यवस्था, भौतिक सम्पर्क के कुछ महत्वपूर्ण साधनों में शुमार है। लेकिन 1951 में राणा वंश के शासन की समाप्ति तक, नेपाल दुनिया के ज्यादातर हिस्सों के साथ इनमें से कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों की दृष्टि से लगभग कटा रहा। अपने केवल दो पड़ोसी देशों — दक्षिण में भारत और उत्तर में तिब्बत के साथ इसका सीमित सम्पर्क था। इन दो देशों के अलावा अन्य देशों के साथ नेपाल के सम्पर्क के युग का सूत्रपात 1956 में वहां योजनाबद्ध युग के प्रारंभ के साथ हुआ। इसके बाद, नेपाल का सम्पर्क भारत और तिब्बत की सरहदों को ही पार नहीं कर गया, बल्कि इसकी पहुंच दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य स्थानों तक भी कायम हुई।

अपनी भौगोलिक निकटता और करीबी सामाजिक संबंधों के नाते नेपाल, भारत के साथ सड़कमार्ग, रेलवे, वायुमार्ग और सीमा के आरपार बिछी बिजली की ट्रांसमिशन लाइन्स के माध्यम से जुड़ा हुआ है। अगर हम इस तथ्य पर गौर करें कि भारत दक्षिण एशिया का इकलौता ऐसा देश है, जिसके साथ नेपाल अपनी जमीनी सरहद को साझा करता है, तो यह सम्पर्क बिल्कुल स्वाभाविक है। भारत के अलावा अन्य देशों के साथ नेपाल का सम्पर्क अच्छा नहीं है। इस क्षेत्र में नेपाल बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका के साथ केवल वायुमार्ग के जरिए ही जुड़ा हुआ है।

आर्थिक लाभ

भौतिक सम्पर्क का व्यापार, निवेश और विकास के साथ सीधे तौर पर सह-संबंध है। सम्पर्क जितना व्यापक होगा, व्यापार, निवेश और विकास की संभावना उतनी ही अधिक होगी। शायद ही कोई देश ऐसा होगा, जिसका सम्पर्क बहुत बेहतर हो और वह गरीब भी हो। इसकी बजाए, केवल वही देश गरीब हैं, जो सम्पर्क के क्षेत्र में पीछे छूट चुके हैं।

सम्पर्क किसी भी देश को वस्तुओं का आयात और निर्यात करने के लिए अपनी पहुंच नए बाजारों तक कायम करने में समर्थ बनाता है। यह उसे अपनी वस्तुओं का ऊंचे दामों पर निर्यात करने और कम दामों पर वस्तुओं का आयात करने का अवसर उपलब्ध कराता है। यह कृषि, उद्योग, व्यापार और सेवा क्षेत्रों की वृद्धि में सहायता करता है। यह देश में उत्पादकता भी बढ़ाता है और नवाचार लाता है, रोजगार के अवसरों का सृजन करता है और सामाजिक-आर्थिक प्रगति की रफ्तार में भी तेजी लाता है। यह पर्यटन, उड्डयन, मोटर-वाहन और विभिन्न उद्योगों को प्रोत्साहन भी देता है।

बाहरी दुनिया से सम्पर्क के अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, देश के भीतर सम्पर्क पर बल दिए जाने की जरूरत है। इसके मद़देनजर नेपाल ने देश के भीतर सम्पर्क कायम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच सड़कों के माध्यम से सम्पर्क बनाने के लिए बहुत कुछ किया गया। एक अध्ययन में कहा गया है कि नेपाल में 1970 के दशक तक केवल 2700 किलोमीटर सड़के थीं, जब अब बढ़कर 42000 किलोमीटर हो चुकी हैं। [1] अकेले पिछले 15 बरसों में ही, लगभग 1700 किलोमीटर सड़कों की दशा में सुधार लाते हुए उन्हें हर-मौसम के अनुकूल बनाया गया है। इसके अलावा, 164 ट्रेल ब्रिज बनाए गए हैं। इस तरह देश के भीतर यात्रा पर लगने वाला समय 80 प्रतिशत तक घट गया है। [2] 2015 के विनाशकारी भूकम्प, खराब मॉनसून और व्यापार में रुकावटों के बाद मुख्य रूप से सम्पर्क के कारण ही 2016 में नेपाल के सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर सबसे कम 0.8 प्रतिशत तक पहुंच गई। 2017 में यह बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो चुकी है। [3]

भारत की भूमिका

नेपाल और भारत के संबंध अनूठे हैं। दुनिया में कोई भी अन्य देश, इन दोनों देशों की तरह एक-दूसरे से बंधे हुए नहीं हैं। कुछ हद तक इसका कारण इनकी खुली सरहद और कुछ हद तक इसका कारण इनके नागरिकों के साथ एक-दूसरे के देश में किया जाना वाला राष्ट्रीय व्यवहार है।पासपोर्ट और वीजा जैसी औपचारिकताओं के न होने के कारण, रोजाना लाखों लोग, विशेषकर नेपाल-भारत सीमा क्षेत्रों पर, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, रोजगार, व्यापार और आर्थिक कारणों से सरहद पार करते हैं। इतना ही नहीं, सीमावर्ती इलाकों में बसे हजारों लोग हर साल सीमापार वैवाहिक रिश्ते भी कायम करते हैं, यह बात इन दोनों देशों के रिश्तों का हमेशा सदाबहार रखती है। एक देश से दूसरे देश में लोगों की बेरोक-टोक आवाजाही को सैंकड़ों बरसों से दोनों देशों की प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था ने लगातार बनाए रखा है।

Answered by lokeshmatlam064
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Explanation:

dakshin dakshin Asia ke deshon mein Shanti Hua sahyog badhane kya kya prayas kiye ja sakte hain

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