दक्षिण में मराठा शक्ति के उदय का वर्णन कीजिए।
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मराठा शक्ति का उदय औरंगजेब के समय में छत्रपति शिवाजी के नेतृत्व में हुआ।
शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 को शिवनेर के किले में हुआ।
वे शाहजी भोंसले की प्रथम पत्नी जीजा बाई के पुत्र थे, जिन्होंने तुकाबाई मोहिते नामक एक अन्य महिला से विवाह कर लिया था। इसी कारण जीजा बाई उनसे अलग रहती थी।
शाहजी भोंसले ने अहमदनगर राज्य में एक सैनिक के रूप में सेवा प्रारंभ किया था परंतु बाद में अपनी योग्यता के बल पर पूना की जागीर प्राप्त कर ली।
शाहजी 1940 में पूना की जागीर अपने 12 वर्षीय पुत्र शिवाजी को दे दिया और स्वयं बीजापुर रियायत की नौकरी कर ली।
शिवाजी ने मवालियों (मवाल क्षेत्र के लोगों) का एक लड़ाकू दस्ता बनाया। इन्हीं को साथ लेकर शिवाजी ने प्रारंभिक विजयें पायीं।
शिवाजी ने सबसे पहले बीजापुर के तोरण के किले पर अधिकार कर लिया। फिर सिंहगढ़, चाकन, पुरंदर, सूपा, कल्याण, जावली तथा रायगढ़ आदि दुर्गों पर भी कब्जा कर लिया।
शिवाजी की सैनिक सफलताओं से परेशान बीजापुर सुल्तान ने उसको काबू करने के लिए अफजल खां को 1659 में भेजा।
अफजल खां ने संधि वार्ता के बहाने शिवाजी को उसके किले से बाहर निकलने पर राजी कर लिया परंतु अफजल खां के दूत कृष्णा जी भास्कर ने शिवाजी को अफजल खां के षड्यंत्र का संकेत दे दिया। फिर शिवाजी ने छुपाकर ले गए बघनखे से उसका पेट फाड़ डाला।
शिवाजी के बढ़ते प्रभाव से चिंतित औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार बनाकर 1660 में भेजा। शाइस्ता खां ने पूना में कब्जा जमा लिया। 15 अप्रैल, 1663 की रात में कुछ चुनिंदा सैनिकों के साथ शिवाजी ने शाइस्ता खां की छावनी में घुस कर हमला कर दिया। शाइस्ता खां तो बच निकला परंतु उसका एक अंगूठा कट गया।
शिवाजी ने जनवरी 1664 में मुगलों के कब्जे वाले समृद्ध बंदरगाह नगर सूरत को लूट लिया।
इन सभी गतिविधियों से क्रुद्ध औरंगजेब ने राजपूत सेनापति जयसिंह को शिवाजी को नियंत्रित करने के लिए भेजा।
मुगल सेना ने शिवाजी के बहुत से किलों पर कब्जा कर लिया। मजबूरन शिवाजी को जयसिंह के साथ 1665 में पुरंदर की संधि करनी पड़ी। पुरंदर की संधि के अनुसार शिवाजी को अपने 33 में से 23 किले मुगलों को देने पड़े। उनके पुत्र सम्भा जी को मुगल दरबार में 5000 का मनसब दिया गया। शिवाजी ने मुगलों की ओर से बीजापुर के खिलाफ लड़ने तथा मुगल साम्राज्य की सेवा करने का वचन दिया। इस सन्धि के समय निकोलाओ मनूची वहां उपस्थित था।
इस सन्धि के बाद शिवाजी औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे परंतु औरंगजेब ने कैद करवा लिया। शिवाजी वहां से अपने पुत्र सम्भा जी के साथ किसी तरह बच निकले।
शिवाजी सकुशल दक्खन पहुंच कर बहुत से किले फिर से जीत लिए। 1760 में शिवाजी ने सूरत को दोबारा लूट कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर लिया।
16 जून, 1674 को रायगढ़ के किले में काशी के प्रसिद्ध पंडित गंगा भट्ट द्वारा शिवाजी का राज्याभिषेक किया गया।
शिवाजी ने छत्रपति, हैंदव धर्मोद्धारक तथा गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक की उपाधि धारण की।
1678 में शिवाजी ने जिंजी का किला जीत लिया।
जिंजी को शिवाजी ने मराठा राज्य के दक्षिण क्षेत्र की राजधानी बनाया।
शिवाजी की मृत्यु 53 वर्ष की अवस्था में 14 अप्रैल, 1680 को हो गयी।
शिवाजी की मृत्यु के समय मराठा साम्राज्य बेलगांव से लेकर तुंगभद्रा नदी तक समस्त पश्चिमी कर्नाटक में फैला था।
इस तरह महान् मुगल साम्राज्य, बीजापुर के सुल्तान, गोवा के पुर्तगालियों और जंजीरा के अबीसीनियाई समुद्री डाकुओं के प्रबल विरोध के बाद भी शिवाजी ने दक्षिण में एक स्वतंत्र और शक्तिशाली हिंदू राज्य की स्थापना करने में सफलता पायी।
मराठा (पुरातन रूप से मरहट्टा या मारहट्टा के रूप में लिप्यंतरित) भारत में जातियों का एक समूह मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में रहता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक , "मराठा, भारत के इतिहास के बहादुर लोग हैं, इतिहास में प्रचलित हैं और हिंदू धर्म के विजेता हैं।" वे मुख्यतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र में रहते हैं। ब्रिटिश राज काल के एक अप्रशिक्षित नृवंशविद वैज्ञानिक रॉबर्ट वाणे रसेल, जो वैदिक साहित्य पर बड़े पैमाने पर अपने शोध का आधार था, ने लिखा कि मराठों को 96 विभिन्न कुलों में विभाजित किया जाता है, जिसे 96 कुलि मराठों या 'शाहन्नो कुले', के रूप में जाना जाता है, जो की क्षत्रिय मराठा है , में शाहन्नौ का मतलब है 96। सूचियों का सामान्य निकाय अक्सर एक-दूसरे के साथ महान विचरण होता है।ation: