thakur ka Kuan Kahani ki samiksha
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ठाकुर का कुआं कहानी की समीक्षा
ठाकुर का कुआं कहानी प्रेम चन्द जी द्वारा लिखी गई है | इस कहानी में अछूत–संदर्भ को ही संस्पर्श करती है | इस कहानी में ऊँची जाती और नीच जाती के भेद-भाव का वर्णन किया गया है |
कहानी की नायिका गंगी ऊँची जाती के लोगों गांव के ठाकुरों के डर से अपने बीमार पति को स्वच्छ पानी तक नहीं पिला पाती है। यह बहुत गलत बात आज़ादी के बाद भी यह भेद-भाव की प्रथा चलती आ रही है|
जाति के आधार पर बहिष्करण और भेदभाव अभी भी स्थापित है, और निचली जातियों द्वारा आत्म-अभिमान अकसर देश के कई हिस्सों में उच्च जातियों द्वारा हिंसक प्रतिशोध की ओर जाता है, जो राज्य द्वारा अप्रभावित हो जाता है, फिर भी उच्च के पक्ष में पक्षपाती है जातियों, हालांकि कुछ अपवादों के साथ। अमीर और शक्तिशाली, खोई हुई सामंती दुनिया के उत्तराधिकारी, राज्य प्रशासन को कनेक्शन, रिश्वत, और सबसे ऊपर, राजनीतिक दबदबा के माध्यम से हेरफेर करने में सक्षम होता जा रहा है ।
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