'दलित पैंथर्स' कार्यक्रम से निम्नलिखित में कौन संबंधित नहीं है?
(A) जाति प्रथा का उन्मूलन (B) दलित सेना का गठन
(C) भूमिहीन गरीब किसान की उन्नति
(D) औद्योगिक मजदूरों के शोषण से मुक्ति
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इतिहास
दलित पैंथर संस्था ब्लैक पैंथर पार्टी से प्रेरित थी। ब्लैक पैंथर पार्टी ने २०वीं सदी में अमेरिका में हुए अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन]] के दौरान अफ़्रीकी अमेरिकी नागरिकों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। दलित पैंथरका गठन नामदेव ढसाल, जे. वी. पवार एवं अरुण कांबले ने बॉम्बे में किया था। इन तीनों ने दलित पैंथरको पूर्व दलित आंदोलनों से अलग एक उग्र रूप देने का निर्णय लिया। अपने शुरूआती दिनों में ही दलित पैंथर ब्लैक पैंथर से काफी प्रेरित था एवं सैन्य बल पर ज्यादा निर्भर था।
ब्लैक पैंथर पार्टी ने भी अपने अखबार ब्लैक पैंथर के द्वारा दलित पैंथरका जमकर समर्थन किया।
दलित पैंथरके कई सदस्य युवा वर्ग से थे। उनमे से कई नवयान समुदाय से भी ताल्लुक रखते थे। दलित पैंथरके कई नेता साहित्यिक हस्ती भी थे। १५ अगस्त १९७२ को दलित पैंथरकी पत्रिका साधना में राजा ढाले द्वारा लिखित एक लेख प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था "काला स्वतंत्र दिन"। इस लेख ने कई विवाद खड़े किये और दलित पैंथरको महाराष्ट्र में लोकप्रिय कर दिया। इसी घटना के बाद राजा ढाले को दलित पैंथरका एक प्रमुख नेता बनाया गया एवं इस संस्था की कई शाखाएँ अन्य राज्यों जैसे तमिल नाडू एवं कर्नाटक में भी स्थापित की गयीं।
बी आर अम्बेडकर द्वारा गठित भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के खंडन के बाद दलित राजनीति में बने एक खाली भाग को दलित पैंथरने भरा। दलित पैंथरने मराठी कला एवं साहित्य को पुनर्जीवित करने में एक मुख्य भूमिका निभायी। दलित पैंथरने हमेशा उग्र राजनीति को बढ़ावा दिया और अम्बेडकर, ज्योतिराव गोविंदराव फुले एवं कार्ल मार्क्स के क़दमों पर चलने का दावा किया।
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Explanation: jati pratha