Hindi, asked by mukul346274, 11 months ago

थल-थल में बसता है शिव ही,
भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमां।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचान।।
Tell me the भावार्थ of this​

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Answered by shishir303
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थल-थल में बसता है शिव ही,

भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमां।

ज्ञानी है तो स्वयं को जान,

वही है साहिब से पहचान।।

भावार्थ ► यह पंक्तियां कवि ललद्यद की वाख की हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवियत्री ने ईश्वर की सर्व व्यापकता को स्पष्ट किया है। कवियत्री का कहना है कि शिव अर्थात ईश्वर तो हर जगह व्याप्त हैं। वे तो इस संसार के कण-कण में समाए हुए हैं। इसलिए ईश्वर में भेद मत कर। क्या हिंदू क्या मुसलमान ईश्वर सबके लिए हैं, सब ईश्वर के बनाए बंदे हैं। इंसान ने स्वयं को हिंदू-मुसलमान आदि में बाँटकर ईश्वर की महिमा को पहचाना नहीं है। अगर तुम ज्ञानी हो, तो स्वयं को पहचानो और जान लो कि ईश्वर एक है, उसी से तुम्हारी पहचान है। यदि तुम ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचान लोगे तो तुम्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति होगी और यही आत्मज्ञान तुम्हें ईश्वर के निकट ले जाएगा।

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