थल-थल में बसता है शिव ही.
भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमा।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचान।।
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Explanation:
इन पंक्तियों के माध्यम से कवियत्री ने ईश्वर की सर्व व्यापकता को स्पष्ट किया है। कवियत्री का कहना है कि शिव अर्थात ईश्वर तो हर जगह व्याप्त हैं। वे तो इस संसार के कण-कण में समाए हुए हैं। ... अगर तुम ज्ञानी हो, तो स्वयं को पहचानो और जान लो कि ईश्वर एक है, उसी से तुम्हारी पहचान है।
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