दनुनया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं। हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं। तरह-तरह के अक्षरों में
हजारों की तादाद में रोज ही समाचार-पत्र छपते रहते हैं। इन सबके मूल में हैं अक्षर। हम ककपना भी
नहीं कर सकते कक यहद आदमी अक्षरों को न जानता, तो आज इस दनुनया का क्या हाल होता। पुराने
जमाने के लोग सचमुच ही सोचते थे कक अक्षरों की खोज ईश्िर ने की है। पर आज हम जानते हैंकक
अक्षरों की खोज ककसी ईश्िर ने नहीं, बक्कक स्ियं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कक
ककन अक्षरों की खोज ककस देश में ककस समय हुई! हमारी यह धरती लगभग पााँच अरब साल पुरानी
है।
(क) प्रस्तुत पाठ और उसके लेखक का नाम इनमें से कौन-सा है?
(i) अक्षरों का महत्त्ि-गुणाकर मुले
(ii) अक्षरों का महत्त्ि-महादेिी िमाग
(iii) पुस्तकों का महत्त्ि-प्रेमचंद
(iv) अक्षरों का महत्त्ि-शमशेर बहादरु लसहं
(ख) इस गद्यांश में ककसका महत्त्ि बतलाया गया है?
(i) संसार का
(ii) पुस्तकों का
(iii) समाचार-पत्रों का
(iv) अक्षरों का
(ग) अब तक ककतनी पुस्तकें छप चुकी हैं?
(i) हजारों
(ii) लाखों
(iii) करोड़ों
(iv) इनमें से कोई नहीं
(घ) पुराने जमाने के लोगों के अनुसार अक्षरों की खोज-
(i) अपने आप हुई
(ii) मनुष्य ने की
(iii) ईश्िर ने की
(iv) ककसी ने नहीं की
(ड़) हमारी धरती ककतने साल पुरानी है?
(i) पााँच लाख िषग
(ii) पााँच हजार िषग
(iii) पााँच अरब िषग
(iv) पााँच करोड़ िषग
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