दन्तुल ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति क्यों कहा?
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¿ दन्तुल ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति क्यों कहा ?
✎... दन्तुल ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति इसलिये कहा क्योंकि हरिण शावक को उसने अपने बाणों से घायल किया था। जब उसके बाणों से आहत होकर हरिण-शावक कालिदास की शरण में आ गया तो दयालु और कोमल हृदय कालिदास ने उस हरिण-शावक को अपनी गोद में लिये और उसके घावों पर घृत लगाकर और उसे दूध पिलाकर उसका उपचार करते हैं।
दन्तुल वहाँ आ जाता है, और कालिदास से हरिण-शावक को देने की मांग करता है। उसके अनुसार ये हरिण शावक उसके बाणों से घायल हुआ और उसके राज्य की सीमा मे है, इसलिये ये हरिण-शावक उसकी सम्पत्ति है, क्योंकि उसने इसका शिकार किया है।
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