Hindi, asked by jawaidsaman5629, 3 months ago

दनुिया की हर एक चीज़ हमें शिक्षा देती है। एक ददि मैंधूप में घमू रहा था। चारों तरफ़ बडे- बडे हरे वक्षृ ददखाई देते थे। मैंसोचिे लगा कक वह ऊपर से इतिी कडी धूप पड रही है, किर भी ये वक्षृ हरे कैसे हैं वे वक्षृ मेरे गुरु बि गए। मेरी समझ में आ गया कक जो वक्षृ ऊपर से इतिे हरे-भरे ददखते हैं, उिकी जडें ज़मीि में गहरी पहुुंची हैऔर वहााँसे उन्हें पािी शमल रहा है। इस तरह अुंदर से पािी और ऊपर से धूप, दोिों की कृपा से यह सुुंदर हरा रुंग उन्हें शमला है । इसी तरह हमें अुंदर से भक्तत का पािी और बाहर से तपश्चयाा की धूप शमले ,तो हम भी पेडों जैसे हरे- भरे हो जाएाँ। हम ज्ञाि की दृक्टि से पररश्रम को िहीुं देखते, इसशलए उसमें तकलीफ़ मालमू होती है ।ऐसे लोगों को आरोग्य और ज्ञाि कभी शमलिे वाला िहीुं| प्रश्ि 1.दनुिया की हर चीज़ हमें कै से शिक्षा दे सकती है? 2.वक्षृ ों के हरे होिे का लेखक को तया कारण समझ में आया? 3. लेखक के शलए वक्षृ गुरु कैसे बि गए ? 4.मिुटय का जीवि हरा-भरा कै से हो सकता है?

Answers

Answered by itzemotionalgirl
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Answer:

अखंड आत्मभाव भरने के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि लोग एक-दूसरे से वैमनस्य, ईष्र्या, द्वेष आदि भाव न रखें और सारी दुनिया के लोगों के साथ एकता अखंडता बनाए रखने हेतु सभी को अपना भाई मानें। प्रायः लोग जाति-धर्म, भाषा क्षेत्रवाद, संप्रदाय आदि की संकीर्णता में फँसकर मनुष्य को भाई समझना तो दूर मनुष्य भी नहीं समझते हैं।

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