Physics, asked by anushkarajput6365, 10 months ago

दर्पण- सूत्र का उपयोग यह व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए कि(a) किसी अवतल दर्पण के f तथा 2f के बीच रखे बिंब का वास्तविक प्रतिबिंब 2f से दूर बनता है। (b) उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आभासी प्रतिबिंब बनता है जो बिंब की स्थिति पर निर्भर नहीं करता। (c) उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आकार में छोटा प्रतिबिंब, दर्पण के ध्रुव व फ़ोकस के बीच बनता है।(d) अवतल दर्पण के ध्रुव तथा फ़ोकस के बीच रखे बिंब का आभासी तथा बड़ा प्रतिबिंब बनता है। (नोट : यह अभ्यास आपकी बीजगणितीय विधि द्वारा उन प्रतिबिंबों के गुण व्युत्पन्न करने मेंसहायता करेगा जिन्हें हम किरण आरेखों द्वारा प्राप्त करते हैं।)

Answers

Answered by shishir303
10

उत्तर-

(a)

दर्पण के सूत्र : 1/v + 1/u = 1/f से ज्ञात करते हैं...

∵ 1/v + 1/u = 1/f

∴ 1/v = 1/f - 1/u = u -f/uf

⇒ v = uf/u -f

अवतल दर्पण के लिये f और सारे दर्पणों के लिये u ऋणात्मक होता है...

इसलिये....

v = [(-u) (-f)]/-u-(-f) = uf/f-u

यहां पर दिया है कि...

f < u < 2f  

∴ f - u < = 0 अथवा u - f > 0

∴ v = uf/-(u-f)  

⇒ v = uf/u-f

अतः ज्ञात होता है कि v का मान मान ऋणात्मक है और प्रतिबिंब के सामने बनता है इसलिये वास्तविक है।

∴ v = uf/u-f सूत्र से...

v = f/(1-f/u) (u से अंश व हर को भाग देने पर प्राप्त आंकिक मान)

∵ u < 2f ⇒ u/f < 2

अथवा...

f/u > 1/2

∴ -(f/u)/-(1/2)

अथवा...

1 - f/u < 1 - (1/2) = 1/2

∴ 1/1-(f/u) > 1/(1/2)

दोनो तरफ f गुणा करने पर...

f/(1-f/u) > 2f  

अथवा...  

u > 2f

इसलिये प्रतिबिंब 2f से दूर बनेगा।

(b)

ऊपर दिया सूत्र लेते हैं...

v = uf/u-f

उत्तल दर्पण के f धनात्मक और u हर दर्पण के लिये ऋणात्मक होता है।

∴ v = (-u) f/-u-f  

⇒ v = uf/u+f  

अतः ज्ञात होता है कि v धनात्मक है इसलिये प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है और आभासी है।  

इसलिये ये निष्कर्ष निकलता है कि उत्तर दर्पण सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है जो बिंब की स्थिति पर निर्भर नही करता।

(c)

उपरोक्त सूत्र से...

v = uf/u+f

∵ प्रतिबिंब का रेखीय आवर्धन m = v/u

∴ m = (uf/u+f)/u

m = f/u+f < 1 (∵ f = u+f)

चूंकि रेखीय आवर्धन 1 से कम है इसलिय प्रतिबिंब का आकार बिंब के आकार से छोटा है।

∴ v = uf/u+f  

= f/1+(f/u) (u से अंश व हर को भाग देने पर प्राप्त)

∴ v = f/1+(f/u) < f (∵ 1+(f/u) > 1)

प्रतिबिंब दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच बनता है।

(d)

उपरोक्त सूत्र से...

v = uf/u-f

अवतल दर्पण के लिये चिह्न सहित मान रखने पर....

v = (-u) (-f)/(-u-(-f)  

⇒ v = uf/f-u  

चूंकि ध्रुव व फोकस के बीच स्थित है...

इसलिये 0 < u < f

⇒ f – u > 0

∴ v = uf/f-u धनात्मक है।

इससे ज्ञात होता है कि प्रतिबिंब दर्पण के पीछे तथा सीधा बनता है और आभासी है।

प्रतिबिंब का रेखीय आवर्धन...

M = v/u  

M = f/f-u > 1     (f - u < f)

चूंकि आवर्धन 1 से अधिक है इसलिये प्रतिबिंब का आकार वस्तु से बड़ा होता है।

Answered by poonambhatt213
10

a) अवतल दर्पण के लिए, फोकल लंबाई (f) ऋणात्मक होती है, f<0

जब कोई वस्तु दर्पण के बाईं ओर रखी जाती है, तो वस्तु दूरी (u) ऋणात्मक होती है, u <0

लेंस के सूत्र का उपयोग करके,

1/ v  - 1/ u = 1/f

1/v = 1/f -1/u  .......(i)

वस्तु f और 2f के बीच स्थित है

2f<u<f

1/2f>1/u>1/f

1/f -1/2f<1/f-1/u<0 .......(ii)

समीकरण (i) का उपयोग करके हम प्राप्त करते हैं

1/2f< 1/v<0              (  अगर , 1/v ऋणात्मक हो तो )

या, 1/2f<1/v

या, 2f>v

-v>-2f

इसलिए, प्रतिबिंब  2f से दूर है |  

(b) अवतल दर्पण के लिए, फोकल लंबाई (f)> 0 और u <0

1/v +1/u = 1/f

1/v = 1/f -1/u

समीकरण (ii) के उपयोग से हम प्राप्त करते हैं

1/v<0

v>0                                

इसलिए अवतल दर्पण हमेशा एक आभासी प्रतिबिंब का निर्माण करता है।

(C) अवतल दर्पण के लिए, फोकल लंबाई (f)> 0 या धनात्मक और u <0

लेस फार्मूला का उपयोग करके,

1/v +1/u = 1/f

1/v = 1/f -1/u

क्योकि u<0

तो , 1/v>1/f

v>f

(d)अवतल दर्पण के लिए, f ऋणात्मक है, अर्थात, f <0 और u <0

इसे फ़ोकस और ध्रुव के बीच में रखा गया है

इसलिए,

f>u>0

1/f<1/u<0

1/f-1/u<0

ऋणात्मक दूरी v के लिए, लेंस सूत्र का उपयोग करके

1/v +1/u =1/f

1/v = 1/f -1/u

1/v<0

v>0

प्रतिबिंब दर्पण के दाईं ओर बनेगा ।

इसलिए, यह आभासी प्रतिबिंब है

u<0 और  v<0 के लिए  

तो ,

1/u>1/v

v>u

इसतरह अवतल दर्पण के ध्रुव तथा फ़ोकस के बीच रखे बिंब का आभासी तथा बड़ा प्रतिबिंब बनता है।

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