दरिद्र सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है।"" लेखक के इस कथन पर दोनों पर प्रेम’ निबन्ध के आधार पर टिप्पणी लिखिए।
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दारिद्य्र मतलब उसी हम गरीब कहते हैं| ओर किसिने काहा हैं, जनसेवा यह ईश्वर सेवा. तो हमे जनसेवा ही करणी हैं तो गरिबी की क्यो नाही|इसीलिये "दारिद्य्र सेवा यह सच्ची ईश्वर सेवा".
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