दरबार' सवैये को भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘अंधेर नगरी' के समकक्ष रखकर विवेचना कीजिए।
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दोनों रचनाएँ समान हैं क्योंकि दोनों रचना का मकसद एक ही संदेश है।
Explanation:
" 1) दोनों रचनाएँ समान हैं क्योंकि दोनों रचना का मकसद एक ही संदेश है।
2) देव की रचना में राजा चापलूसी और विलासिता के कारण अंधा होता है। भारतेन्दु की रचना ‘अंधेर नगरी' में उनके हाथ में मूर्ख राजा था।
3) दोनों अदालत में कोई भी व्यक्ति सत्य को मूल्य नहीं दे रहा है। हर एक दोनों कोर्ट में चापलूसी में व्यस्त है। दरबारी ने सोचा कि राजा की चापलूसी ही अब उनके लिए धर्म है।
4) दोनों दरबार में लोग तमाशा देख रहे हैं क्योंकि राजा मानसिक रूप से अंधे हैं। वे सच्चाई और वास्तविकता का मूल्य नहीं जानते।"
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