दरस बिन दूखण लागे नैन।
जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे कबहुँ न पायो चैन ।।
सबद सुणत मेरी छतियाँ काँपै मीठे लागे बैन ।
बिरह कथा का कहूँ सजनी बह गई करवत ऐन ।।
कल न परत पल-पल मग जोवत भई छमासी रैन।
'मीरा' के प्रभु कब रे मिलोगे दुख मेटण सुख दैन ।।
संत मीराबाई
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Answer:
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
Answer:
मीराबाई कहती हैं कि हे प्रभु, आपके दर्शनों के अभाव में मेरे नयन दुखने लगे हैं। जब से आप बिछुड़े हैं प्रभु, मुझे एक पल के लिए भी चैन नहीं मिला है। मैं आपके बिना व्याकुल हूँ। आपके मधुर वचनों की याद आते ही मेरा हृदय सिहर उठता है। और आपके वचन मुझे मीठे लगते हैं। हे सखी, मैं अपनी विरह-व्यथा किससे कहूँ? प्रभु से दूर रहने की वेदना ने मुझे पूरी तरह घायल कर दिया है। कृष्ण के बिना मुझे एक पल भी चैन नहीं मिलता। मैं दिन-रात उन्हीं का मार्ग देखा करती हूँ। उनके वियोग में मुझे रात भी छह मास जितनी लंबी लगती है। अर्थात एक-एक पल कठिनता से बीतता है। मीरा कहती हैं हे प्रभु, आप मुझसे कब मिलोगे? मुझे कब दर्शन दोगे? आप ही मेरे दुखों को दूर करके सुख देने वाले हो ।
Explanation:
Meerabai says that O Lord, my eyes have started hurting due to lack of your darshan. Ever since you have been separated, Lord, I have not found peace even for a moment. I'm upset without you My heart shudders when I remember your sweet words. And I find your words sweet. Hey friend, to whom should I tell my sorrow of separation? The pain of being away from the Lord has completely wounded me. Without Krishna, I do not get peace even for a moment. Day and night I watch his path. In his separation, even the night seems to me as long as six months. That means every moment passes with difficulty. Meera says oh Lord, when will you meet me? When will you see me? You are the one who removes my sorrows and gives me happiness.