दस्तक प्रथा से क्या तात्पर्य है? इसका दुरुपयोग कैसे किया जाता था।
Answers
दस्तक प्रथा
Explanation:
ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल में नॉक-आउट जारी करती थी जहाँ कंपनी के एजेंटों को प्रांतीय कर का भुगतान किए बिना व्यापार करने का अधिकार था। 1717 ई। में, शाह फर्रुखसियर द्वारा कंपनी को दिए गए आदेशों के तहत ढाई प्रतिशत कर में छूट दी गई थी। कानूनी रूप से, केवल कंपनी ही यह छूट प्राप्त कर सकती थी। लेकिन इस छूट का उपयोग करने के दो तरीके थे। पहले, दस्तक मिलने के बाद, कंपनी के कर्मचारी कर का भुगतान किए बिना निजी व्यवसाय प्राप्त करते थे। तब कंपनी भारतीय व्यापारियों को इस तरह की दस्तक देती थी, जिसके जरिए वे बिना टैक्स चुकाए भी कारोबार करते थे।
नवाब सिराज-उद-दौला ने दस्तक का विरोध किया, लेकिन प्लासी के युद्ध के बाद दस्तक का अभ्यास अधिक हो गया। नवाब मीर इस समय ज़फर नामक एक शासक थे। आखिरकार, इस अभ्यास के परिणामस्वरूप भारतीय नागरिकों की हानि हुई, और नवाब भी थे बहुत अधिक राजस्व गंवाना। मीर जाफ़र के हटने और मीर कासिम के कमीशनिंग (1760–63) के बाद यह बुराई इतनी बढ़ गई कि मीर कासिम ने 1762 ई। में कंपनी का घोर विरोध किया और इसे रोकने की माँग की। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।