Hindi, asked by diyasinisengupta, 4 months ago

दवद्यणर्थी िीवि को मणिव िीवि की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अदतशयोक्त्तत्त िहीं होगी। दवद्यणर्थी

कणल मे बणलक में िो संस्कणर पड़ िणते हैं िीवि-भर वही संस्कणर अदमट रहते हैं। इसीदलए यही

कणल आधणरदशलण कहण गयण है। यदद यह िींव दृढ बि िणती है तो िीवि सुदृढ़ और सुखी बि िणतण

है। यदद इस कणल में बणलक कष्ट सहि कर लेतण है तो उसकण स्वणस्थ्य सुंदर बितण है। यदद मि

लगणकर अध्ययि कर लेतण है तो उसे ज्ञणि दमलतण है, उसकण मणिदसक दवकणस होतण है। दिस वृक्ष

को प्रणरंभ से सुंदर दसंचि और खणद दमल िणती है, वह पुक्त्ित एवं पल्लदवत होकर संसणर को सौरभ

देिे लगतण है। इसी प्रकणर दवद्यणर्थी कणल में िो बणलक श्रम, अिुशणसि, समय एवं दियमि के सणाँचे में

ढल िणतण है, वह आदशा दवद्यणर्थी बिकर सभ्य िणगररक बि िणतण है। सभ्य िणगररक के दलए दिि-

दिि गुर्ों की आवश्यकतण है उि गुर्ों के दलए दवद्यणर्थी कणल ही तो सुन्दर पणठशणलण है। यहणाँ पर

अपिे सणदर्थयों के बीच रह कर वे सभी गुर् आ िणिे आवश्यक हैं, दििकी दक दवद्यणर्थी को अपिे

िीवि में आवश्यकतण होती है।
‘संसार को सौरभ’ देने का अर्थ है


I. संसार में सुगंध फैलाना

II. संसार को बेहतर बनाना

III. संसार में पेड़ लगाना

IV. संसार को सुगंधधत द्रव्य देना



(2) गद्यणंश में आदशा दवद्यणर्थी के दकि गुर्ों की चचणा की गई है ?

I. दियमणवली कण पणलि

II. ज्ञणि प्रणक्त्ि हेतु ध्यणि की आवश्यकतण की

III. दियमि

IV. व्यणयणम



(3) गद्यणंश के आधणर पर कहण िण सकतण है दक

I. दवद्यणर्थी िीवि में व्यक्त्तत्त अिेक गुर्ों को धणरर् कर लेतण है।

II. दवद्यणर्थी िीवि के दलए सुंदर पणठशणलण की आवश्यकतण होती है।

III. कष्ट सहि करिे से सेहत बिती है।

IV. वृक्षों को सींचिण पयणावरर् के दलए आवश्यक है।

गद्यणंश में ‘वृक्ष’ दकसे कहण गयण है ?

I. पेड़ को

II. दवद्यणर्थी को

III. िीवि को

IV. समय को



(5) मणिव िीवि की रीढ़ की हड्डी दवद्यणर्थी िीवि को क्ों मणिण िणतण है ?

I. पूरण िीवि दवद्यणर्थी िीवि पर चलतण है।

II. िो संस्कणर दवद्यणर्थी िीवि में पड़ िणते हैं वे संस्कणर स्र्थणयी हो िणते है

III. दवद्यणर्थी िीवि सुखी िीवि होतण है।

IV. दवद्यणर्थी िीवि में ज्ञणि दमलतण है।​


diyasinisengupta: exam chl rha h
manobm71: nhi dogi
diyasinisengupta: Kahi aur batt kro yaar
manobm71: haa
diyasinisengupta: nh dungi Number
manobm71: ladki
ashmithaldar2005: आसमणि हमें ददलणतण है
I. सणर्थ-सणर्थ रहिे कण अिुशणसि
II. भय से छु टकणरे कण आश्वणसि
III. भयभीत ि करिे कण आग्रह
IV. रक्षण करिे कण वचि
diyasinisengupta: Mai kyu du number. pagal Hu kya unknown ko dungi
diyasinisengupta: ashmita Sahi h answer
manobm71: answer kaha ha

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Answered by IND21
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Answer:

गाँव में ऐसा माना जाता था कि कहीं से कोई साधु आए और एक झोंपड़ी बनाकर वहीं पूजा-पाठ करने लगे |समय के साथ-साथ यह स्थान ठाकुरबारी के रूप में विख्यात हो गया |

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