दया का धर्म क्या है?
khanabdulrahman30651:
दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। अर्थ: संत श्री तुलसी दास जी कहते हैं कि धर्म दया भावना से उत्पन्न होती है और अभिमान तो केवल पाप को ही जन्म देता है, मनुष्य के शरीर में जब तक प्राण हैं तब तक दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए ।
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दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। अर्थ: संत श्री तुलसी दास जी कहते हैं कि धर्म दया भावना से उत्पन्न होती है और अभिमान तो केवल पाप को ही जन्म देता है, मनुष्य के शरीर में जब तक प्राण हैं तब तक दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए ।
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