दयालु पन्ना मराठी निबंध
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Explanation:
फुले-दम्पति (महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले) द्वारा स्थापित देश के पहले बालिका-विद्यालय में मात्र 3 सालों की पढ़ाई के बाद मांग जाति की 14 लड़की मुक्ता सालवे ने यह लेख 1855 में लिखा था, जो पहला दलित-स्त्री लेखन माना जाता है. यह लेख तत्कालीन समाज में व्याप्त ब्राह्मणवाद का दस्तावेज है और उसपर करारा प्रहार. हिन्दी के पाठकों के लिए अनुवाद किया है संदीप मधुकर सपकाले ने.
ज्ञानोदय के कर्ता से
विशेष बिनती के साथ | यह निबंध मांग जाति की एक लड़की ने लिखा है | कुछ दिन पहले मैं पुणे गया था | पुणे में अतिशूद्र विद्यार्थियों की पाठशाला के संस्थापक राजश्री जोतिबा माली ने उस लड़की से यह निबंध हमारे सामने पढ़वाया था | उसी समय हमारी आँखों के सामने रा.जोतिबा द्वारा किए गए श्रमका फल साक्षात् दिखाई दिया |अभी उनकी पाठशाला के विषय में बताने का अवकाश नहीं हैं किंतु हमारे सुधि पाठकों को यह निबंध पढ़कर उनकी पाठशाला की प्रगति का अहसास हो जाएगा | इस निबंध की भाषा और उसकी विषयवस्तु के पहले छह बिन्दुओं में थोड़े बहुत सुधार किए गए थे लेकिन जब इस निबंध को दुनियाके सामने लाने को हुआ तब जिसे उसने अपनी स्वबुद्धि से लिखा हैं वही लोगों द्वारा पढ़कर समझा जाए जिसपर उसके अध्ययन और बुद्धिमानी का अनुमान लगाया जा सकें इसीलिए इस निबंध में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करते हुए उसे जस के तस प्रस्तुत किया गया हैं |