दयाळ जमींदार
डाक
कहानी लेखन
किसी गांव में
अकाल
द्वाश
रोज लोगों को रोटियाँ बॉटना
बालिका का छोटीशेटी लेना
जाना शेटी तोड़ना शेटी में सोने
सिक्का निकलना लड़की का
का जमींदार
जमींदार के
सोने का सिक्का लौटाना
माना
घर
का
पास
आना
जाना
इनाम
शिव्या
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Explanation:
यह बात कई सदियों पुरानी है एक जेस्तर नाम का गांव था उसी गाव मैं आनंदी नामकी लाडकी रेहती थी घर की गरीब स्तिथ के कारण उसे एक वक्ता की रोटी भी नहीं मिलती थी वाही गाव मैं एक नेकदील इंसान राहता था उसने गाव मैं अन्नदान उत्सव रखा था तो आनंदी ऑर उसके घरवले वहा भोजन के लिये गये थे जब आनंदी को रोटी मिली तो उसने khana सुरू करदिया अचानक उसे कूच चमकता हुआ दिखा ये ऑर कूच नाही तो सोनेका सिक्का था वह उसे देख चोक गाई ऑर उसने यह सोचा की वो सिक्का जलदी ही साब को देना चाहिए उसीलिय वो उनके घर केसामनेआकार ठेरी तो बडा ही आलिशान बंगला था वह आंदर गाई ऑर सिक्का दे दिया जमीनदार खुश होकार सोनेकेढेर सरे सिक्के इनाम के तोर दे दिया
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