The gold watch summary by ponjikkara raphy
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संकू की समस्याएँ
संकू अपनी समस्याओं के विषय में सोच रहा था | तीन दिन बाद, उसे अपना वेतन मिलने वाला था, जो कि तेरह दिनों के लिए तेरह रूपए की अल्प-राशि थी | उसने एक दुकान से खरीदारी की थी जिसके लिए उसे साढ़े चार रूपए चुकाने थे | संकू के पास साढ़े आठ रूपए शेष राशि के रूप में बच रहे थे | परन्तु उसे और भी कई लिए गए कर्जों को चुकाने थे | सभी राशियों को जोड़ने पर बाईस रुपए तेरह पैसे हो रहे थे | उसने अपनी पत्नी से भी तीन रुपए मांगे थे, जिसे उसने अपने सबसे छोटे बच्चे की करधनी खरीदने के लिए बचाए थे |
संकू के लिए यह सोचना भी असहनीय था कि अगर वह कर्ज चुकाने में असमर्थ रहा तब वह अपमान एवं हँसी का पात्र बनेगा | उसकी पत्नी ने उसे दो पके हुए केले लाने का अनुरोध किया था क्योंकि उसके पास बच्चे को पिलाने के लिए दूध नहीं था | उसके बड़े बच्चे के शरीर में घाव हो गया था, इसलिए उसके लिए मरहम लाने के लिए भी कहा | इसके अतिरिक्त संकू की पत्नी गर्भवती थी और उसने अपने आपको अपने परिवार की देखभाल न कर पाने के लिए कोसा |
संकू द्वारा घड़ी चुराना
एक बजे, मध्यावकाश के लिए घंटी बजी, सब लोग अपनी-अपनी जगह पर खाने के लिए चले गए | संकू एक कोने में एक खम्बे के सहारे टिक कर खड़ा था | वह इंजिनियर की सोने की घड़ी चुराने की सोच रहा था जो ठिगने कद का एक मोटा सा अंग्रेज था और उसकी आँखें बिल्लियों जैसी थी | संकू इंजिनियर के कार्यालय के बाहरी हिस्से में, शीशे की खिड़की की ओर गया | वहां सोने की घड़ी मेज पर रखी हुई थी | थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के बाद उसने वह घड़ी चुरा ली |
अचानक उसने गलियारे में से किसी को आते देखा और वह डॉ गया कि कहीं वह पकड़ा न जाए | पकड़ें जाने के भय के कारन उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया | उसे लगा कि सभी उसे चोर कह कर पुकारेंगे | इस भय के कारण, उसने यह निश्चय किया कि वह घड़ी को उसी स्थान पर रख देगा जहाँ से उसने उसे चुराया था | वह उसी खिड़की के पास गया, घड़ी को जेब से बाहर निकाला एवं उसी मेज पर रख दिया | अपने कर्ज के बारे में सोचता हुआ वह चला गया |