Hindi, asked by rose488, 6 months ago

The Importance Of Language essay in hindi

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Answered by Mashalbaigo
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hello here is ur answer!!

"भाषा संचार के एक साधन से अधिक है" (O'Neil) दुनिया भर में हर दिन भाषा का उपयोग किया जाता है। “भाषा संस्कृति से अपना अर्थ निकालती है, प्रत्येक संस्कृति उस भाषा में सन्निहित है जिसे वह बोलती है। हर भाषा संस्कृति में निहित है जो इसे बोलती है ”(सार्वभौमिक भाषा)। भाषा का उपयोग प्रत्येक संस्कृति में किया जाता है, और उन क्षेत्रों में शामिल किया जाता है जहां कोई रहता है, लेकिन यह नहीं बदलता है कि भाषा का उपयोग कैसे किया जाता है। भाषा को समय की शुरुआत में वापस लिया जा सकता है। गुफाओं में प्रतीक, जो पाए गए हैं, फोटो खींचे गए हैं और व्याख्या की गई है; आरंभिक शिक्षाओं में पाए जाने वाले स्क्रॉल, पत्थर उत्कीर्णन के लिए, भाषा का उपयोग उन लोगों से पहले शुरू हुआ जो अब रह रहे हैं। भाषा के बिना सीखना संभव नहीं होगा। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हम भाषा के हर स्रोत का उपयोग करते हैं। जब हम बात करना, पढ़ना, लिखना, ड्राइव करना सीखते हैं, तो मूल रूप से हम जो भी करना सीखते हैं, वह भाषा का दूसरा रूप है। "एक छात्र के रूप में आप दुनिया की संस्कृतियों, समुदायों, लोगों और भाषाओं का पता लगाते हैं" (ज़िगलर)। स्कूल में बच्चों को बहुभाषियों से मिलवाया जाता है। “हर संस्कृति, राष्ट्र और समुदाय की अपनी भाषा होती है। वे अलग तरह से लिख सकते हैं, अलग तरह से बोल सकते हैं, और सीखने के विभिन्न साधन हैं; हालाँकि भाषा का उपयोग अभी भी अपरिवर्तित है ”(ज़ीग्लर)। भाषा का उपयोग कार्यस्थल में किया जाता है, बिक्री को संप्रेषित करने के लिए, ठेकेदारों और निर्माण श्रमिकों, चौकीदारों, राजनीति द्वारा ग्राहक सेवाओं के हर पहलू में उपयोग किया जाता है; मूल रूप से किसी व्यक्ति की नौकरी के हर कोने में भाषा शामिल होती है। भाषा का उपयोग जीवन के अनुष्ठानों में भी किया जाता है। काम करने के लिए कार की सवारी में, किसी को संकेत पढ़ने के लिए, कार चलाने के लिए, जीपीएस का उपयोग करने वालों के लिए और अन्य यात्रियों के साथ संवाद करने के लिए भाषा कौशल का उपयोग करना चाहिए। और फोन वार्तालाप करते समय, पुस्तक या व्यंजनों को पढ़ते समय, परिवार और दोस्तों से बात करते समय, और जब हमारे आस-पास क्या हो रहा है, यह जानने के लिए हमारी इंद्रियों का उपयोग करते समय भी उपयोग किया जाता है। भाषा जानने में हमारी इंद्रियाँ बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हमारी समझदारी हमें लिखित भाषा को पढ़ने की अनुमति देती है। सुनने की हमारी भावना हमें उन शब्दों को सुनने की अनुमति देती है जो एक व्यक्ति संवाद करने की कोशिश कर रहा है और हमारे चारों ओर ध्वनियों को सुन रहा है जो यह भी संचार कर रहे हैं कि हमारे आसपास क्या चल रहा है। स्पर्श की हमारी भावना हमें संवाद करने की अनुमति देती है जब कुछ गर्म या ठंडा, तेज या सुस्त होता है; स्पर्श की हमारी भावना सबसे अंतरंग स्पर्श के दौरान भी हमारे मस्तिष्क के साथ संचार करती है। स्वाद की हमारी भावना भाषा का एक और रूप है जिसे हमारा शरीर हमारे मस्तिष्क के साथ संचार करता है। अंत में हमारी गंध की भावना है। गंध बहुत महत्वपूर्ण है, एक उदाहरण है जब आग लगती है; गंध हमारे मस्तिष्क के साथ संचार करता है, जो एक श्रृंखला प्रतिक्रिया का कारण बनता है, एक बार हमारे मस्तिष्क को गंध से संकेत मिलता है, तो हम आपातकालीन सेवाओं को कॉल करते हैं, और इसी तरह। हमारे जीवन का हर पहलू भाषा का एक रूप है। और इसके अलावा यह इस राष्ट्र के कार्य का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में, सरकार में भाषा एक बड़ी भूमिका निभाती है। हमें मुक्त भाषण के अधिकार दिए गए हैं, जो मौखिक रूप से संवाद करने का हमारा अधिकार है। हमें प्रेस की स्वतंत्रता दी जाती है, जो हमें लिखित भाषा की स्वतंत्रता देती है। हमने लिखित शब्दों के आधार पर इन स्वतंत्रताओं पर भरोसा किया है जिन्होंने हमें ये अधिकार दिए हैं जो लिखित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। लिखित भाषा के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका के जन्म के दौरान, सरकार ने उन प्रवासियों के लिए भाषा दिशानिर्देश निर्धारित किए, जो इस देश में एक राष्ट्रीय भाषा विकसित करने की उम्मीद में रहते थे। जब कोई इस देश में जाना चाहता था, तो वे पहले एलिस द्वीप में पंजीकृत थे, और फिर नागरिक बनने के लिए उन्हें अंग्रेजी बोलना सीखना आवश्यक था। राष्ट्रभाषा तब तक पूरे जोरों पर थी, जब तक आने वाले प्रवासियों की मात्रा को ट्रैक करना मुश्किल हो गया था। वर्तमान में कोई राष्ट्रीय भाषा निर्धारित नहीं है। यद्यपि अंग्रेजी तकनीकी रूप से मुख्य भाषा है, स्पेनिश हमारी द्वितीयक आदि है। संयुक्त राज्य अमेरिका इस तरह के एक विविध राष्ट्र बन गया है; कई भाषाएँ हैं जो अधिक से अधिक उपयोग की जा रही हैं। टेलीमार्केटर्स, बिलिंग केंद्र, सरकारी एजेंसियां, आदि सभी आपके फोन कॉल की शुरुआत करते समय स्पेनिश विकल्प हैं। यह वह जगह है जहां बहु-भाषाएं आती हैं, और सार्वभौमिक भाषा में प्रयास।

Answered by Anonymous
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\huge\boxed{Answer}

भाषा भावों की वाहिका और विचारों की माध्यम होती है. अतएवं किसी भी जाति अथवा राष्ट्र की भावोंत्क्रष और विचारों की समर्थता उसकी भाषा से स्पष्ट होती है. जब से मनुष्य ने इस भूमंडल पर होश संभाला है, तभी से भाषा की आवश्यकता रही है. भाषा व्यक्ति को व्यक्ति से, जाति को जाति से राष्ट्र को राष्ट्र से मिलाती है.

भाषा द्वारा ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है. राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने के लिए भाषा और साहित्य की सम्पन्नता और उसका विकास परमआवश्यक है.

भाषा का भावना से गहरा सम्बन्ध है. और भावना तथा विचार व्यक्तिगत के आधार है. यदि हमारे भावों तथा विचारों को पोषक रस किसी विदेश अथवा पराई भाषा से मिलता है. तो निश्चय ही हमारी व्यक्तिगत भी भारतीय अथवा स्वदेशी न रहकर अभारतीय अथवा विदेशी हो जाएगा.

प्रत्येक भाषा और प्रत्येक साहित्य अपने देश काल और धर्म से परिचित तथा विकसित होता है. उस पर अपने महापुरुषों और चिंतको का, उनकी अपनी परिस्थतियों के अनुसार प्रभाव पड़ता है. कोई दूसरा देश काल और समाज भी उस सुंदर स्वास्थ्यकारी संस्कृति से प्रभावित हो, यह आवश्यक नही है.

अतएवं व्यक्ति के व्यक्तित्व का समुचित विकास और उसकी शक्तियों को समुचित गति अपने पठन पाठन में मिल सकती है. इसका कारण यह भी है कि मात्रभाषा में जितनी सहज गति से संभव है और इसमे जितनी कम शक्ति समय की आवश्यकता पडती है उतनी किसी भी विदेशी और पराई भाषा से संभव नही है.

यह भी सच है कि हमारे देश के प्रतिभाशाली और होनहार लोग पशिचमी भाषा और साहित्य में अपनी क्षमता को देखकर स्वयं भी चकिंत रह जाते है. जिसकी यह मातृभाषा नही है. यह भी मानना पड़ेगा कि इन परिश्रमी लोगों ने अपनी शक्ति समय और तन्मयता पराई भाषा के लिए खपाई, वह यदि मातृभाषा के लिए प्रयोग की गई होती तो एक अद्भुत चमत्कार ही हो गया होता.

माइकेल मधुसूदन दत्त का द्रष्टान्त आपके सामने है. प्रतिभा के स्वामी इस बांगला कवि ने अंग्रेजी में काव्य रचना करके कीर्ति और गौरव कमाने के लिए भारी परिश्रम और प्रयत्न किया. यह तथ्य उनको तब समझ में आया जब वे इंग्लैंड यात्रा पर गये.

बहुत अच्छा लिखकर भी वह द्वितीय श्रेणी के लेखक और कवित से अधिक कुछ नही हो सके. यदि चाहते तो अपनी भाषा के कृतित्व के बल पर वह सहज ही प्रथम श्रेणी के कवियों में प्रतिष्टित हो सकते थे. यह सब पता चलने के बाद उन्होंने अपनी भाषा में लिखने का निर्णय किया. प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता है.

श्रीमती सरोजनी नायडू यदि अपनी मातृभाषा में काव्यरचना करती तो निश्चय ही श्रेष्ट कवयित्री होने का गौरव प्राप्त करती. मै देखती हु कि उच्च ज्ञान विज्ञान का माध्यम अंग्रेजी होने पर पिछले डेढ़ सौ वर्षो में अंग्रेजी में एक भी रवीन्द्रनाथ, शरतचंद्र, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और उमाशंकर जोशी आदि पैदा नही हो सके. राष्ट्रभाषा राष्ट्र की उन्नति की धौतक होती है!

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