History, asked by adityasharma7768, 1 year ago

The measure of intelligence is tha ability to change in hindi ​

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Answered by devadityasingh2005
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Answer:“बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है”  बदलने की क्षमता ही बुद्धिमत्ता का माप है, यह कथन विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद्  अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था |  यह कथन शत प्रतिशत सत्य है क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है। यह संसार परिवर्तन से ही चलता है, परिवर्तन होते- होते ही मानव का जन्म हुआ है। परिवर्तन से ही यह ब्रह्मांड बना  है। आरंभ में पृथ्वी जलते हुए गोले की तरह थी किंतु इसमें धीरे-धीरे परिवर्तन होते गया और और इसमें इतना परिवर्तन हुआ कि अब इस पर जीवन संभव है| इसलिए यह कहना बहुत मुख्य बात है कि बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है।  समय के साथ अच्छे काम के लिए बदलना बहुत जरूरी है और यही एक समझदारी है | समय के साथ बहुत  सारी चीज़ें बदल रही है, और बहुत सारे नए-नए आविष्कार हो रहे हैं | सामान्य व्यक्ति अगर अपने जीवन में हो रहे बदलावों को अपनाए तो वह भी एक अच्छा और उच्च जीवन जी सकता है क्योंकि बदलाव ही खुशहाल जीवन का नीयम है।  आज भी समाज मे बहुत सारी पुरानी धारणा है जो लोग मानते है , जैसे लडकियों को स्कूल नहीं जाने देना , उनकी जल्दी शादी करवा देना ,भेद-भाव रखना , जाती-वाद , दहेज प्रथा यह सब हमें खत्म करने की जरूरत है | इसी पुरानी सोच के कारण हम पीछे है , अगर हम यह सोच बदल देंगे और नया सोच बनाएंगे तब हर  जगह प्रगति होगी |  बदलना ही संसार का नीयम है और किसी भी बदलाव को टालना मूर्खता है। लेकिन बदलाव बुद्धिमत्ता के साथ- साथ मूर्खता की भी निशानी मालूम पड़ती है । मानव ने प्रकृति के बदलाव को न अपनाकर खुद से किये गए बदलाव को प्रकृति के ऊपर थोप दिया । इसके विपरीत कई प्रकार की भ्रंतिया उत्पन्न हो गयी हैं जो केवल मानव को नही अपितु समस्त संसार को नेसता-नाबूत करने को तैयार है । यह मूर्खता नही तो और क्या है । बदलाव हमेशा सार्थक रहे तभी से हमारे बुद्धिमत्ता को दर्शाता है | जो आज वर्तमान है कल अतीत बन जाएगा |   परिवर्तन या बदलाव मनुष्य के विकास में साधक बनकर  समय-समय पर चुनौती के रुप में आते हैं और कालांतर में पुनः एक नए परिवर्तन द्वारा हो कर समय की धारा में प्रवाहित हो जाते हैं | इस तरह ये क्रम चलता रहता है| मनुष्य को चाहिए कि वह लकीर का फकीर न बन कर वर्तमान में जिए क्योंकि प्रत्येक क्षण बदलता हुआ आगे बढ़ जाता है।  हमे वर्तमान को अतीत मे बदलना होगा तभी हम भविष्य मे बदलाव की कल्पना कर सकते हैं|  इसलिए हमें भी समय के साथ बदलना होगा नहीं तो हम उस समय को, उस बदलाओ को नहीं जी पाएंगे जो वास्तव मे हो रहा है और पुरानी धारणाओं मे ही बंधे रह जाएंगे | दुनिया हमसे आगे निकाल जाएगी और हम जहां थे वहीं रह जाएंगे |  हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।  

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