them story of joothan
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Joothan refers to scraps of food left on a plate, destined for the garbage or animals. India's untouchables have been forced to accept and eat joothan for centuries, and the word encapsulates the pain, humiliation, and poverty of a community forced to live at the bottom of India's social pyramid.
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hope it helps you...!!!...
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उम्मीद करती हूं कि आपको यह सब समझ आया
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जूठन जूठन के लेखक हैं ओमप्रकाश वाल्मीकि इन्होंने अपनी आत्मकथा जूठन में लिखा है कि स्कूल में दूसरों से दूर बैठना पड़ता था वह भी जमीन पर अपनी बैठने की जगह आते-आते चटाई छोटी पड़ जाती थी कभी-कभी तो एकदम पीछे दरवाजे के पास बैठना पड़ता था जहां से बोर्ड पर लिखे अक्षर धुंधले दिखते थे कभी-कभी बिना कारण पिटाई भी कर देते थे जब मैं कक्षा चार में थे प्रधानाध्यापक ने ओमप्रकाश से स्कूल और खेल के मैदान में झाड़ू लगाने को कहा वे लिखते हैं लंबा चौड़ा मैदान मेरे वजूद से कई गुना बड़ा था जिसे साफ करने में मेरी कमर दर्द करने लगी थी धूल से चेहरा सिर आत गया था मुंह के भीतर धूल घुस गई थी मेरे कक्षा के बाकी बच्चे पढ़ रहे थे और मैं झाड़ू लगा रहा था हेड मास्टर अपने कमरे में बैठे थे लेकिन निगाह मुझ पर टिकी थी पानी पीने तक की इजाजत नहीं थी पूरा दिन में झाड़ू लगाता रहा स्कूल केकमरों की खिड़की दरवाजों से मास्टर ओ और लड़कों की आंखें छिपकर तमाशा देख रही थी ओमप्रकाश से अगले 2 दिन तक स्कूल और खेल के मैदानों में झाड़ू लगवाई जाति रही और यह क्रम सभी रुका जब उधर से गुजरते हुए उसके पिता ने अपने बेटे को झाड़ू लगाते देखा उन्होंने शिक्षकों को साहस पूर्वक सम्मान किया और ओमप्रकाश का हाथ पकड़कर स्कूल से बाहर जाते हुए ऊंचे स्वर में सब को सुनाते हुए कहा मास्टर हो इसलिए जा रहा हूं पर इतना याद रखिए मास्टर यो यही पड़ेगा इसी मदरसे में और यूं ही नहीं इसके बाद और भी आ जाएंगे पढ़ने को। ओमप्रकाश वाल्मीकि को अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा आत्मकथा जूठन में उन्होंने अपने विषय में चर्चा की। and english answer is start। Omprakash Valmiki is a Dalit writer, he has told in detail about himself in his autobiography Joothan, what difficulties he had to face, I hope that you understand