these questionsप्रेम-दया का इष्ट लिए तू, सत्य-अहिंसा तेरा संयम, नयी चेतना, नयी स्फूर्ति-युत तुझमें चिर विकास का है क्रम। चिर नवीन तू, ज़रा-मरण से - मुक्त, सबल उद्दाम, मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम। एक हाथ में न्याय-पताका, ज्ञान-द्वीप दूसरे हाथ में, जग का रूप बदल दे हे माँ, कोटि-कोटि हम आज साथ में। गूँज उठे जय-हिंद नाद से - सकल नगर औ' ग्राम, मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम।
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(⌐■-■)
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