धोहर अभिशाप की कथा भागो मे विभाजित हे
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कौशल्या बैसंत्री ने 68 वर्ष की आयु में अपनी आत्मकथा 'दोहरा अभिशाप' लिखी। आत्मकथा का बुनियादी उद्देश्य है कि उसमें आत्म उद्घाटन का तत्व हो। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह दोहरे सामाजिक अभिशाप की कथा है। नागपुर के एम्प्रेस मिल में मज़दूरी करने वाले माता-पिता की संतान कौशल्या बैसंत्री का बचपन गरीबी और अभाव में बीता।
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