धिक उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
प्र2: - निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
उन्नति तथा अवनति प्रकृति का नियम एक अखंड है
चढ़ता प्रथम जो व्योम में गिरता वही मार्तंड है।
अतएव अवनति ही हमारी कह रही उन्नति-कला,
उत्थान ही जिसका नहीं उसका पतन ही क्या भला।
होता समुन्नति के अनंतर सोच अवनति का नहीं,
हाँ, सोच तो है जो किसी की फिर न हो उन्नति कहीं।
चिंता नहीं जो व्योम-विस्तृत चंद्रिका का ह्रास हो,
चिंता तभी है जब न उसका फिर नवीन विकास हो।
(कवि ने उन्नति तथा अवनति के क्रम को किस उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया है ?
(ii) पतन की संभावना कब होती है?
(ii) उत्थान के बाद चिंता का विषय क्या हो सकता है?
(iv) कवि उपर्युक्त काव्यांश द्वारा क्या संदेश देना चाहता है?
(v) उपर्युक्त काव्यांश में किस नियम को अखंड बताया गया है?
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शीर्षक’ क्या हो सकता है ? *
प्रकृति के नियम
परिवर्तन
जीवनशास्त्र
भूगर्भशास्त्र
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