धूल शीर्षक पर स्वरचित कविता या किसी भी एक प्रसिद्ध कवि की कविता लिखिए ।
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धूल का फूल
प्रकृति व मानव का सताया
मैं अभागा धूल का फूल हूँ
जहां की बस्ती बसाने वाला
परिश्रम का वह तुच्छ मूल हूँ।
समय के थपेड़ों से हूँ पीड़ित
मुरझाया हुआ बासी फूल हूँ
मानव का एक कुत्सित रूप हूँ
समाज में अस्तित्व विहीन हूँ।
इच्छा और आकांक्षा रहित हूं
उमंगहीन व तरंगहीन मानव हूं
चलती–फिरती एक लाश हूं
फिर भी आत्मा–विहीन हूं।
परिश्रम की दुर्धर बेला में
फिर भी मैं दिनों का दीन हूँ
- करण अन्जाना
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